लॉक डाउन की छुट्टी के बदले फ्री ओवरटाइम कराएंगी कम्पनियां, रहें तैयार

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बरेली। लॉकडाउन के बाद आर्थिक संकट से उबरने की उद्योग जगत ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। कर्मचारियों को लॉकडाउन अवधि की छुट्टी के बदले में फ्री ओवरटाइम करने के लिए राजी किया जा रहा है। वहीं शासन से लॉकडाउन के समय का बोनस और अर्जित अवकाश-ईएल देने से छूट की मांग की गई है।
कोरोना के चलते लॉकडाउन हुआ तो 90 फीसदी उद्योग-धंधों में तालाबंदी हो गई। सिर्फ आवश्यक सेवा वाली उत्पादन इकाई ही खुली हुई हैं। सरकार के आदेश के चलते औद्योगिक इकाइयां कर्मचारियों और श्रमिकों को घर बैठे वेतन दे रही हैं। अब लॉकडाउन खुलने के बाद की परिस्थितियों पर भी विचार शुरू हो गया है। उद्यमियों ने तय किया है कि वह श्रमिक और कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत करेंगे। उन्हें इस बात के लिए तैयार किया जाएगा कि वे लॉकडाउन के दौरान ली गई छुट्टी को अपने ओवरटाइम के साथ में समायोजित करें। जब तक पूरा समायोजन नहीं हो जाता है तब तक ओवरटाइम अवधि का पैसा उन्हें नहीं दिया जाएगा। कुछ उद्यमियों ने अपने श्रमिकों से इस संबंध में बात करनी शुरू भी कर दी है।

छुट्टी के समय का न देना हो बोनस
फैक्ट्री संचालक वेतन के साथ-साथ बोनस भी देते हैं। इसके अलावा कर्मचारियों को 12 दिन का अर्जित अवकाश भी दिया जाता है। आईआईए ने श्रम मंत्रालय से मांग की है कि इस बार उन्हें लॉकडाउन के समय के बोनस और ईएल देने से छूट दी जाए। इन छोटे-छोटे उपायों के माध्यम से ही लघु और मध्यम उद्योग आर्थिक संकट से उबर सकेंगे।


कर्मचारियों को करना होगा सहयोग
आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश सुंदरानी ने कहा कि उत्पादन बंद होने के बाद भी फैक्ट्री संचालक कर्मचारियों को वेतन दे रहे हैं। कर्मचारियों और श्रमिकों का भी यह कर्तव्य है कि वह भविष्य में फैक्ट्री संचालकों का सहयोग करें। परस्पर सहयोग से ही किसी भी औद्योगिक इकाई का संचालन हो सकता है।

उत्पादन और आय नहीं तो बोनस कैसा

आईआईए की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य राजेश गुप्ता ने कहा कि उत्पादन होने पर आय होती है। आय से मुनाफा होता है। इस मुनाफे पर ही बोनस दिया जाता है। जब मुनाफा ही नहीं है तो बोनस का क्या अर्थ है। हम अपने कर्मचारियों और श्रमिकों से इस बारे में बात कर रहे हैं। काफी लोग हमारी बात से सहमत भी हैं।


मार्च का भी नहीं मिला है वेतन
श्रमिक नेता सतीश मेहता ने कहा कि श्रमिक हमेशा ही अपने नियोक्ता का सहयोग करते हैं। हकीकत ये है कि अभी सभी श्रमिकों और कर्मचारियों को मार्च का वेतन भी नहीं मिला है। अप्रैल का वेतन और बोनस की बात तो बाद की है। मेरी उद्यमियों से मांग है कि वो सरकार के आदेश के अनुरूप वेतन दें।

अपनी मर्जी से घर नहीं बैठे श्रमिक
मजदूर नेता राजीव शांत ने कहा कि कोई भी श्रमिक अपनी मर्जी से घर पर नहीं बैठा है। सरकार ने लॉकडाउन किया है। फैक्टरियां बन्द हैं। इस कारण वो घर पर हैं। ऐसे में वेतन और छुट्टी में कटौती की बात गलत है। बिना किसी कटौती के लॉकडाउन का वेतन जारी किया जाए। आगे भी कोई कटौती नहीं होनी चाहिए।