संपत्ति के लालच में बेटी के दो टुकड़े करने वाली मां को कोर्ट ने सुनाई यह सजा, पढ़िये दहला देने वाली घटना

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देहरादून। संपत्ति के लालच में अपनी ही बेटी के टुकड़े करके स्टोर में रखने वाली सौतेली मां को कोर्ट ने आज आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। यह घटना 2018 में हुई थी। इस घटना के फैसले को लेकर महानगर की नजरें टिकी थीं।

एक सौतेली मां इतनी निर्दयी हो सकती है, ऐसा शायद ही कोई सोच सकता है। कोतवाली के खुड़बुड़ा मोहल्ले के अंसारी मार्ग पर रहने वाली प्राप्ति सिंह एक इंस्टीट्यूट से एयर होस्टेस का कोर्स कर रही थी। सात फरवरी 2018 को सुबह प्राप्ति का मोबाइल स्विच ऑफ था। उसके रिश्तेदारों और दोस्तों ने जब उसकी सौतेली मां मीनू कौर से मोबाइल बंद होने का कारण पूछा तो उसने बताया कि प्राप्ति सुबह ही एक इंटरव्यू के लिए दिल्ली चली गई है। वह भी उससे बात करने के लिए परेशान है।
दिन भर मोबाइल ऑन न होने पर रिश्तेदारों का प्राप्ति से संपर्क नहीं हुआ तो उन्होंने मीनू कौर पर दबाव डालना शुरू किया। लेकिन, वह गुमराह करती रही। रिश्तेदारों ने अधिक दबाव डाला तो मीनू कौर आठ फरवरी 2020 की सुबह आइएसबीटी पुलिस चौकी पहुंची और प्राप्ति की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई। पुलिस को बताया कि प्राप्ति को खुद उसने दिल्ली जाने वाली बस में बैठाया है। इसके बाद उससे दो बार बात भी हुई। पटेलनगर कोतवाली के उस समय के प्रभारी रहे रितेश शाह व एसएसआइ विपिन बहुगुणा ने जब मीनू और प्राप्ति के मोबाइल की लोकेशन निकलवाई तो झूठ से पर्दा उठ गया।
दोनों के मोबाइल की लोकेशन सात फरवरी की शाम से आठ फरवरी तक अंसारी मार्ग पर ही थी। पुलिस ने जब मीनू से इस बारे मे सवाल किए तो यहां भी उसने गुमराह करने की कोशिश की। नौ फरवरी को मीनू से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह पुलिस के सवालों के आगे ज्यादा देर टिक नहीं पाई। उसने बताया कि प्राप्ति का उसने कत्ल कर दिया है और शव घर में ही है।
आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची तो प्राप्ति के कमरे से तेज दुर्गंध उठ रही थी। मीनू से चाबी लेकर कमरा खोला गया तो बाथरूम से सटे स्टोर रूम में प्राप्ति का शव दो टुकड़ों में पड़ा हुआ था। पुलिस ने मौके से हत्या में इस्तेमाल ईंट और खुखरी भी बरामद की। जांच में यह सामने आया कि प्राप्ति के पिता का कुछ समय पहले निधन हो गया था। वह अपनी संपत्ति की इकलौती वारिस थी। मीनू मकान को बेचने का दबाव बना रही थी, जिस पर प्राप्ति राजी नहीं हो रही थी।

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