कैंची धाम वाले बाबा नीम करौरी के पुत्र धर्म नारायण शर्मा ब्रह्मलीन, भक्तों में शोक

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वृंदावन : सोमवार को बाबा नीम करौरी महाराज के भक्तों के लिए बुरी खबर आई। बाबा के कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा जो बाबूजी के नाम से पुकारे जाते जाते थे, वह ब्रहमलीन हो गए। बाबू जी की उम्र 81 वर्ष की थी। साथ ही फरीदाबाद के मेट्रो अस्पताल में भर्ती थे। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बाबू जी के ब्रह्मलीन होने की खबर जैसे ही भक्तों को मिली, शोक की लहर दौड़ गई।

परिक्रमा मार्ग स्थित बाबा नीम करौरी आश्रम में सोमवार दोपहर को धर्म नारायण शर्मा के ब्रह्मलीन होने की खबर पहुंची। आश्रम में हनुमान जयंती के कार्यक्रम रोक दिए गए। तीसरे पहर पांच बजे उनका पाॢथव शरीर आश्रम पहुंचा, अनुयायी बिलखने लगे। आश्रम के गोशाला परिसर में अंतिम संस्कार किया गया।
बाबा नीम करौरी महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह सरकारी अधिकारी रहे हैं। 91 वर्षीय अनेक सिंह अपने परिवार सहित भोपाल में निवास कर रहे हैं। कनिष्ठ पुत्र 81 वर्षीय धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद 35 वर्षों से वृंदावन आश्रम में ही निवास कर रहे थे। उन्होंने अपने पीछे पांच पुत्रियों- दामादों का भरा-पूरा परिवार छोड़ा है। बाबा नीम करौरी महाराज की पुत्री गिरजा देवी आगरा में निवास कर रही हैं।

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1967 में हुई नीम करौरी आश्रम की स्थापना

बाबा नीम करौरी महाराज ने अपने जीवन में 108 हनुमान मंदिर देश के अलग-अलग शहरों में बनवाए, इनमें लखनऊ में गोमती किनारे हनुमान सेतु मंदिर भी शामिल है। बाबा ने दो आश्रम भी बनवाए। पहला आश्रम कैंची (नैनीताल) और दूसरा वृंदावन (मथुरा) में। वृंदावन आश्रम की स्थापना 1967 में हुई थी। 11 सितंबर 1973 को बाबा ने वृंदावन स्थित आश्रम में महासमाधि ली।

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फर्रुखाबाद के गांव नीम करौरी में हुए हनुमानजी के दर्शन

बाबा नीम करौरी महाराज का मूल नाम पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा है। कहा जाता है कि जब पंडित लक्ष्मीनारायण शर्मा फर्रुखाबाद के गांव नीम करौरी में साधना में रत थे, तब उन्हेंं हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए। तब से बाबा का नाम नीम करौरी महाराज पड़ गया और आज भी उन्हेंं नीम करौरी बाबा के नाम से ही जाना जाता है।