रात 10 बजे के बाद न जागें, सुबह 5.30 बजे उठ जाएं, ये है हमारी संस्कृति की पहचान

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बरेली। कोरोना के कारण लॉकडाउन हुआ तो लोगों को प्रकृति, मानवीय मूल्यों और नैतिकता का महत्व फिर याद आने लगा। वेबिनार में एकेटीयू के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर आरके खंडाल ने कहा कि बालकों में मानवीय मूल्य और नैतिकता विकसित करने के लिए तय करें कि बच्चा 10 बजे के बाद रात में ना जागे और सुबह 5ः30 बजे जग जाए।


बच्चे ऐसा श्रम करें कि पसीना आये। घरों में वेस्टर्न टॉयलेट हटवाकर भारतीय टॉयलेट बनवाएं। लोग पाश्चात्य टूथपेस्ट त्याग कर भारतीय दातुन का प्रयोग करें। आयोजक खंडेलवाल कॉलेज के डाॅ. विनय खण्डेलवाल ने कहा कि हमें बच्चों को सफल इंसान की जगह अच्छा इंसान बनने को प्रेरित करना होगा।प्रो. एनएल शर्मा ने कहा कि हमें व्यर्थ का अहम नहीं रखना चाहिए।’ प्रो एडीएन बाजपेई ने बताया कि धर्म का अर्थ है कि जो व्यवहार स्वयं के साथ होना पसंद ना हो उसे दूसरों के साथ ना करें। संचालन प्रो. आशुतोष प्रिया ने किया।