डीएल के लिए अब न लगाना होगा आरटीओ दफ्तर के चक्कर, न करना होगा इंतजार, ऐसे झटपट हासिल कर सकेंगे अपना ड्राइविंग लाइसेंस, सरकार ने दी ये सहूलियत

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नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब परिवहन कार्यालयों न तो चक्कर काटने होंगे और न ही लंबा इंतजार करना पड़ेगा। सरकार ने एनजीओ, वाहन निर्माता कंपनियों और संगठनों को भी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की अनुमति दे दी है। सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने इस बाबत जारी गाइडलाइन में कहा है कि निजी क्षेत्र को भी प्रशिक्षण केंद्र खोलने की मान्यता दी जाएगी।

मंत्रालय के अनुसार, नई व्यवस्था क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) की मौजूदा व्यवस्था के साथ काम करेगी। वाहन निर्माण से जुड़ी कंपनियां, संगठन, फर्म, एनजीओ या अन्य कानूनी प्रतिष्ठान ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (डीटीसी) खोलने के लिए आवेदन दे सकते हैं। मंत्रालय योग्य और सभी मानक पूरे करने वाले आवेदक को 60 दिन के भीतर मान्यता दे देगा। ये केंद्र लोगों को ड्राइविंग की बारीकियों और सड़क सुरक्षा नियमों की थ्योरी और प्रैक्टिकल के रूप में जानकारी देंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को इन केंद्रों की ओर से ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा। केंद्र को मिली मान्यता 5 साल के लिए होगी, जिसके बाद नवीकरण कराना होगा।

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सरकार से नहीं मिलेगी कोई मदद
मंत्रालय ने कहा, केंद्र खोलने वाले आवेदकों को सरकार की ओर से किसी तरह का अनुदान या मदद नहीं मिलेगा। हालांकि, कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) या केंद्र अथवा राज्य की अन्य योजनाओं से मदद लेने पर कोई रोक नहीं है। आवेदक के पास केंद्र चलाने की पर्याप्त वित्तीय क्षमता और संसाधन होना जरूरी है। केंद्रों को हर साल अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट आरटीओ या जिला यातायात कार्यालय में जमा करानी होगी। डीटीसी को अपनी वेबसाइट बनाकर प्रशिक्षण का ढांचा, शुल्क, समय सहित सभी जानकारियां देनी होंगी।

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29 घंटे में सीखेंगे कार चलाना, 38 घंटे में ट्रक
मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, मान्यता प्राप्त चालक कार जैसे हल्के वाहन चलाने का प्रशिक्षण 4 सप्ताह में पूरा करेंगे। इस दौरान कुल 29 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं, ट्रक-बस जैसे भारी वाहन चलाने का प्रशिक्षण छह सप्ताह में पूरा करना होगा। इस दौरान कुल 38 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। चालकों को सड़क सुरक्षा नियमों के साथ विनम्र व्यवहार को लेकर भी प्रशिक्षण मिलेगा। सरकार का मानना है कि इन केंद्रों से प्रशिक्षित चालकों की कमी को पूरा करने के साथ सड़क दुर्घटनाएं भी घटाई जा सकेंगी।

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