इधर नैनीताल में हाई कोर्ट ने खारिज की जमानत, उधर रुड़की में पुलिस की घेराबंदी तोड़ फरार हो गया पाकिस्तानी युवक

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नैनीताल। प्रदेश में बुधवार को हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जमानत पर चल रहा पाकिस्तानी नागरिक रुड़की स्थित अपने घर से पुलिस की घेराबंदी तोड़कर फरार हो गया। बुधवार को ही हाई कोर्ट में उसकी जमानत पर हाई कोर्ट में सुनवाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने निरस्त कर उसे हिरासत में लेने के आदेश दिया है, मगर पुलिस तक यह आदेश पहुंचता, उससे पहले ही वह भाग निकला। अब पुलिस व खुफिया महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एलआईयू समेत पांच पुलिसकर्मी उसके घर की निगरानी कर रहे थे, लेकिन वह सिलेंडर लेने का बहाना बनाकर घर से निकल गया और फरार हो गया । एसपी देहात परमेन्द्र डोवाल ने बताया कि आरोपी की तलाश की जा रही है। शहर में चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है।

जासूसी के आरोप में हुआ था गिरफ्तार

5 जनवरी 2010 को महाकुंभ के दौरान हरिद्वार के गंगनहर कोतवाली अंतर्गत एसओजी व एसटीएफ ने आबिद अली निवासी लाहौर को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, विदेश एक्ट और पासपोर्ट एक्ट के तहत रुड़की से गिरफ्तार किया था। उसके पास मेरठ, देहरादून, रुड़की और अन्य सैन्य ठिकानों के नक्शे मिले थे। तलाशी में उसके पास से एक पेनड्राइव, लैपटाॅप समेत अन्य गोपनीय जानकारी से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए थे। पुलिस ने रुड़की के मच्छी मोहल्ला स्थित उसके ठिकाने पर छापा मारा तो वहां से बिजली फिटिंग के बोर्ड तथा सीलिंग फैन में छिपाकर रखे गए करीब एक दर्जन सिम कार्ड भी बरामद हो गए।

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रुड़की में की थी लव मैरिज

आबिद 1985 में ही जाली दस्तावेजों से पासपोर्ट हासिल कर भारत आ गया था। उसने रुड़की के ही मच्छी मोहल्ला की लड़की से लव मैरिज की थी, ताकि इसकी आड़ में गोपनीय सूचनाएं एकत्र कर पाकिस्तान भेज सके।

सात साल की हुई थी सजा, एडीजे कोर्ट ने दे दी थी जमानत

गिरफ्तार होने के बाद हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने 19 दिसंबर 2012 को आबिद अली को दोषी पाते हुए सात साल कारावास व साढ़े सात हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त आबिद के अधिवक्ता ने एडीजे हरिद्वार की कोर्ट में अपील दायर की। वकील ने मामले में आबिद के पते इत्यादि के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा। 2014 में सुनवाई के दौरान अपर जिला जज द्वितीय हरिद्वार ने आबिद अली को बरी करने के आदेश दे दिए। इसके बाद जेल अधीक्षक के स्तर से कोर्ट व एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया गया कि चूंकि आबिद अली विदेशी नागरिक है। इसलिए उसे रिहा करने से पहले उसका व्यक्तिगत बंधपत्र व अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी आवश्यक हैं। अभियोजन पक्ष के मुताबिक अपर जिला जज ने जेल अधीक्षक के पत्र के संदर्भ में स्पष्ट किया कि इसके लिए अलग से आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। अभियोजन के अनुसार तत्कालीन एसएसपी ने भी मामले में गंभीरता नहीं दिखाई और उसे रिहा कर दिया। निचली अदालत के आदेश को सरकार ने हाई कोर्ट में विशेष अपील दायर कर चुनौती दी। सरकार ने कहा कि निचली अदालत ने बिना ठोस सबूत पाते हुए पाकिस्तानी नागरिक को रिहा करने का आदेश दिया है, जिसे निरस्त किया जाए। उसके खिलाफ जासूसी करने के कई सबूत हैं।

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हाई कोर्ट में सरकार ने दाखिल की थी विशेष अपील

निचली अदालत के आदेश को सरकार ने हाई कोर्ट में विशेष अपील दायर कर चुनौती दी तो 2017 में सुनवाई के दौरान ही हाई कोर्ट ने तत्कालीन एसएसपी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि एसएसपी ने बिना देश हित देखे पाकिस्तानी नागरिक को कैसे रिहा कर दिया। कोर्ट ने सरकार व पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए थे कि एसएसपी के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने आरोपित के अधिवक्ता को भी फटकार लगाते हुए कहा था कि बिना हस्ताक्षर व गवाह के इस केस में कैसे पैरवी करने के लिए वकालतनामा दायर किया गया। अब बुधवार का कोर्ट ने उसकी जमानत बांड निरस्त कर उसे हिरासत में लेने का आदेश सुनाया है, मगर इससे पहले ही वह रुड़की स्थित अपने घर को छोड़कर फरार हो गया।

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