चारा घोटाले में लालू यादव दोषी करार, 36 लोगों को 3-3 साल की जेल

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu prasad yadav) की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बहुचर्चित चारा घोटाला (fodder scam) में झारखंड के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी पर फैसला आ गया है। रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने आज इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहरा दिया है। इस मामले में 36 लोगों को 3-3 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। फिलहाल, लालू प्रसाद यादव को लेकर सजा का एलान होना बाकी है, उन्हें 21 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। अगर लालू को तीन साल से अधिक की सजा होती है तो फिर जमानत नहीं मिल पाएगी। अगर सजा तीन साल से कम की होती है तो जमानत की संभावना बन जाएगी।

लालू प्रसाद को अब तक करोड़ों रुपये के चारा घोटाले (fodder scam) से जुड़े पांच में से चार मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। चारा घोटाले के चार मामलों- देवगढ़, चाईबासा, रांची के डोरंडा कोषागार और दुमका मामले में लालू प्रसाद को जमानत दे दी गई थी।

26 साल तक चली सुनवाई

डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले की जांच लगभग 26 वर्ष तक चली। डोरंडा ट्रेजरी से चारा खरीद के नाम पर 139.35 करोड़ की अवैध निकासी की गई थी। बता दें कि चारा घोटाला (fodder scam) के 53 मामलों में 5 केस में लालू प्रसाद एवं अन्य राजनीतिज्ञों को आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने लालू प्रसाद पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा- 120B, 420, 409, 467, 468, 471, 477A, और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (PC Act) की धारा 13(2), 13(1)(c) के तहत आरोप लगाए। लालू प्रसाद एवं अन्य आरोपियों का दोष साबित करने के लिए सीबीआई ने 575 गवाहों को पेश किया। डोरंडा ट्रेजरी मामले में सीबीआई की ओर से 16 ट्रंक (बक्से) दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए।

वहीं, लालू प्रसाद ने अपने बचाव में 14 गवाह पेश किए। सीबीआई ने जांच के क्रम में यह पाया कि डोरंडा ट्रेजरी से निकाली गई राशि, पशुपालन विभाग के बजट से 229 प्रतिशत अधिक थी। पैसे निकालने के लिए फर्जी मांग पत्र, आवंटन पत्र और इसके आधार पर फर्जी आपूर्ति आदेश भी निकाले गए। पशुपालन विभाग के तत्कालीन डॉक्टर माल प्राप्त किए बिना ही आपूर्ति विपत्र पर माल पावती का सर्टिफिकेट निर्गत कर देते थे। सीनियर डॉक्टर भी बिना आपत्ति इसे प्रमाणित कर देते थे। सीबीआई के मुताबिक पशुपालन विभाग के अलावा डोरंडा ट्रेजरी की भूमिका भी संदेहास्पद रही। साल 1990 में डोरंडा ट्रेजरी से अधिकतम 50 हजार रुपये तक के बिल पास करने का प्रावधान था। हालांकि, चारा घोटाले (fodder scam) में शामिल लोग बिल अमाउंट 50 हजार से थोड़ा कम दिखाते थे। बिल अलग-अलग भागों में बांटकर बनाए जाते थे। इसी षडयंत्र के तहत डोरंडा ट्रेजरी से केवल 3 महीने में 8 करोड़ रुपये का बिल पास कर दिया गया।

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