अब जड़ी-बूटी ‘छोड़’ आयुर्वेद चिकित्सक भी लिख सकेंगे एलोपैथिक दवा, सरकार का बड़ा फैसला

147
खबर शेयर करें -

देहरादून। आयुर्वेद और एलोपैथ को लेकर चिकित्सकों में छिड़ी जंग के बीच आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए अच्छी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सोमवार को उत्तराखंड राज्य के आयुष मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने घोषणा की है कि आयुर्वेद चिकित्सकों को भी आपात स्थिति में एलोपैथिक दवा लिखने का अधिकार होगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी इसपर अपनी सहमति दे दी है। इसके लिए उन्होंने हिमाचल, हरियाणा व अन्य राज्यों का उदाहरण दिया, जहां के आयुर्वेद चिकित्सकों को पहले से ही यह अधिकार मिला हुआ है। अब उत्तराखंड में भी इसे लागू किया जाने वाला है।

यह भी पढ़ें 👉  वन्य जीव विहार में उड़ाया हैलीकॉप्टर, वन विभाग ने अपनाया कड़ा रवैया

उत्तराखंड आयुर्वेद विवि में आयोजित योगाभ्यास कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे आयुष मंत्री ने पत्रकारों से कहा कि गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में आयुर्वेद कैंसर सेंटर बनाया जाएगा। यह देश का पहला आयुर्वेद कैंसर संस्थान होगा। वहीं मर्म चिकित्सा को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि मर्म चिकित्सा से जुड़े शोध भी किए जाएंगे। उन्होंने आयुर्वेद विवि को पुराने वैद्य और जानकारों को साथ लेकर जड़ी-बूटियों पर शोध करने को कहा है। मंत्री ने बताया कि दूरदराज के क्षेत्रों में योग और वेलनेस सेवा के तहत 100 वेलनेस सेंटर बनाने का भी निर्णय लिया गया, जिसमें पहले चरण में 50 वेलनेस सेंटर बनाए जाएंगे। वहीं आयुर्वेद विवि में नए डिप्लोमा और डिग्री कोर्स शुरू करने के साथ ही विवि परिसर में 500 व्यक्तियों की क्षमता वाले आडिटोरियम का निर्माण किया जाएगा।

यह भी पढ़ें 👉  शासन ने इस विभाग में किया फेरबदल

उन्होंने बताया कि चरक डांडा में अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान के लिए भी दस करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैैं। जिला मुख्यालयों में 25 बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल, तहसील स्तर पर 15 बेड के अस्पताल और हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल में गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगम के होटलों में पंचकर्म योग केंद्र स्थापित किए जाएंगे।