ओमिक्रॉन का खौफ या कुछ और : डॉक्टर ने पत्नी और दो बच्चों को उतारा मौत के घाट

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न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर के कल्याणपुर के इंद्रानगर इलाके में उस समय हड़कंप मच गया जब एक अपार्टमेंट में महिला समेत तीन बच्चों की शव (Doctor killed his wife and two children) मिले। तीहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाला और कोई नहीं महिला का पति और बच्चों का पिता ही निकला जो वारदात (Doctor killed his wife and two children) के बाद फरार हो गया। इंद्रानगर में स्थित डिविनिटी होम्स अपार्टमेंट में रहने वाला आरोपी डाक्टर डिप्रेशन का शिकार बताया जा रहा है। घटना की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल में जुटी है।

डिविनिटी होम्स अपार्टमेंट में डॉ. सुशील कुमार अपनी पत्नी चंद्रप्रभा (50) के साथ रहते थे। डॉ. सुशील रामा मेडिकल कॉलेज की फॉरेंसिक टीम के हेड हैं। उनके साथ बेटा शिखर सिंह (20) और बेटी खुशी सिंह (16) भी इसी अपार्टमेंट में रहते थे। शुक्रवार की शाम 5.32 बजे डॉ. सुशील कुमार ने अपने भाई सुनील को मैसेज किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि सुनील पुलिस को इंफोर्म करो। डिप्रेशन में मैंने..

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इस मैसेज को पढ़ने के बाद सुनील अपार्टमेंट पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद मिला। उन्होंने दरवाजा तुड़वाया। अंदर पहुंचे तो उन्हें चंद्रप्रभा, शिखर और खुशी की लाश मिलीं। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी थी। पुलिस छानबीन में घटनास्थल पर एक डायरी में नोट भी मिला। जिसमें डॉ. सुशील कुमार ने परिवार की हत्या (Doctor killed his wife and two children) समेत अपने जिंदगी को लेकर बातें लिखी थीं।

मौके से 10 पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला है। इसमें लिखा है कि अब और कोविड नहीं, ये कोविड अब सभी को मार डालेगा। ओमिक्रॉन वैरिएंट किसी को नहीं छोड़ेगा, अब लाशें नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं।

दस पन्ने के सुसाइड नोट में लिखी ये बातें 

अब और कोविड नहीं, ये कोविड अब सभी को मार डालेगा। अब और लाशें (ओमिक्रॉन) नहीं गिननी हैं। अपनी लापरवाही के चलते करियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं। जहां से निकलना असंभव हैं। मेरा कोई भविष्य नहीं है। अत: मैं अपने होश-ओ-हवास में अपने परिवार को खत्म करके(Doctor killed his wife and two children) खुद को खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं। मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो गया हूं। आगे का भविष्य कुछ भी भी नजर नहीं आ रहा है। इसके अलावा मेरे पास कोई और चारा नहीं है। मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता। सभी को मुक्ति के मार्ग में छोड़ कर जा रहा हूं। सारे कष्टों को एक ही पल में दूर कर रहा हूं। अपने पीछे मैं किसी को कष्ट में नहीं देख सकता। मेरी आत्मा मुझे कभी भी माफ नहीं करेगी। आंखों की लाइलाज बीमारी की वजह से मुझे इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है। जब मेरी आंख ही नहीं रहेगी तो मैं क्या करूंगा।

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