पेट्रोल-डीजल के दाम : ‘चार दिनों’ की राहत, फिर बढ़ेगी परेशानी

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol and diesel prices) में त्योहारी मौसम में मिली राहत बस कुछ दिनों की है। आने वाले दिनों में इसके दाम एक बार फिर से लोगों के आंसू निकाल सकते हैं। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol and diesel prices) और बढ़ेंगी।

ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि हमें समझना होगा कि हम तेल यानी पेट्रोल-डीजल आयात करते हैं। यह एक आयातित वस्तु है। आज के समय में हम अपनी जरूरत का करीब 86 फीसदी तेल का आयात करते हैं। ऐसे में तेल के दाम (Petrol and diesel prices) किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं। पेट्रोल और डीजल दोनों ही नियंत्रण मुक्त वस्तुएं हैं। जुलाई 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया था। जबकि साल 2014 में मोदी सरकार ने डीजल को नियंत्रण मुक्त किया था। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम (Petrol and diesel prices) बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख वजह कोरोना महामारी भी है।

उन्होंने कहा कि जब भी मांग और आपूर्ति में असंतुलन होता है, कीमतों में वृद्धि होना तय है। दूसरा कारण तेल क्षेत्र में निवेश की कमी है, क्योंकि सरकारें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय / हरित ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा दे रही हैं। यही वजह है कि आने वाले महीनों में कच्चा तेल (Petrol and diesel prices) और अधिक महंगा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 2023 में कच्चे तेल की कीमत 100 रुपये तक बढ़ सकती है।

पेट्रोल और डीजल पर केंद्र के उत्पाद शुल्क कम करने के कदम के बारे में पूछे जाने पर तनेजा ने कहा कि जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ाती है, जब तेल बहुत महंगा होता है, तो सरकार उत्पाद शुल्क कम करती है। खपत और बिक्री कोरोना काल में तेल की मात्रा की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम हो गई थी। हालांकि बाद में यह 35 प्रतिशत तक आ गई। जब बिक्री कम हो जाएगी, तो सरकार की आय अपने आप घट जाएगी। लेकिन अब बिक्री कोरोना काल के पहले के स्तर पर वापस आ गई है।

उन्होंने कहा कि दूसरा, जीएसटी संग्रह आर्थिक सुधार के लिए सकारात्मक संकेत दे रहा है। सरकार पहले की तुलना में अपेक्षाकृत आरामदायक स्थिति में है। साथ ही, हमारी अर्थव्यवस्था डीजल पर आधारित है। अगर डीजल की कीमत बढ़ती है तो हर चीज की कीमत बढ़ जाती है। मुद्रास्फीति अधिक है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है।

पेट्रोल-डीजल पर भी लगे जीएसटी

तनेजा का मानना है कि पेट्रोल-डीजल (Petrol and diesel prices) को जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा राहत मिल सके और ज्यादा पारदर्शिता भी आए। वित्त मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बुधवार को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी। ईंधन की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के बीच, तीन वर्षों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में यह पहली कटौती है।

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