केदारनाथ में बोले पीएम मोदी- अब समय के दायरे से नहीं डरता भारत

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। प्रधानमंत्री आज केदारनाथ धाम (PM Modi In Kedarnath) में हैं। यहां उन्होंने भगवान केदार की पूजा-अर्चना करने के बाद आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने जनसभा को भी संबोधित किया।

जय बाबा केदार के उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi In Kedarnath) ने संबोधन शुरू करते हुए कहा कि कुछ अनुभव इतने आलौकिक होते हैं, उन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। कल दीपावली पर सैनिकों के साथ था, आज सैनिकों की भूमि पर हूं। गोवर्धन पूजा के दिन केदार धाम के दर्शन का अवसर मिला, दिव्य अनुभूति है यह। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी केदारनाथ आता हूं यहां के कण-कण से जुड़ जाता हूं। हिमालय की चोटियां ऐसी अनुभूति की तरफ खींच के ले जाती हैं, जिसके पास मेरे लिए कोई शब्द नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi In Kedarnath) ने कहा कि केदारनाथ में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। 2013 की आपदा के दौरान मैंने यहां की तबाही को अपनी आंखों से देखा था। इस दौरान केदारनाथ आपदा को याद कर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi In Kedarnath) भावुक हो गए। कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी कि ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi In Kedarnath) ने कि मैंने जो पुनर्निर्माण का सपना देखा था वो आज पूरा हो रहा है। जो कि सौभाग्य की बात है। इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार के साथ ही केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण कार्य करने वाले श्रमिकोंं का भी धन्यवाद किया। बर्फबारी और कड़ी ठंड के बीच उनके काम की सराहना की। इस दौरान उन्होंने पुजारियों और रावल का भी आभार व्यक्त किया।

भारतीय दर्शन का मतलब मानव कल्याण

प्रधानमंत्री (PM Modi In Kedarnath) ने कहा कि शंकर का संस्कृत में अर्थ ‘शं करोति सः शंकरः’ यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित किया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे। आदि शंकराचार्य का जीवन भारत और विश्व कल्याण के लिए था। आज आप श्री आदि शंकराचार्य जी की समाधि की पुन: स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक समृद्धि और व्यापकता का बहुत अलौकिक दृश्य है। कहा कि जात-पात के भेदभाव से हमारा कोई सरोकार नहीं है। एक समय था जब आध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ समग्र तरीके में देखता है। आदि शंकराचार्य ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया है।

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काशी में विश्वनाथ धाम का भी लक्ष्य होगा पूरा

पीएम मोदी (PM Modi In Kedarnath) ने कहा कि अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में काशी का भी कायाकल्प हो रहा है। विश्वनाथ धाम का कार्य बहुत तेज गति से पूर्णता की तरफ आगे बढ़ रहा है। अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है। कठिन समय-सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि – इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है।

बढ़ रही चारधाम यात्रा आने वाले भक्तों की संख्या

पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड के तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि चारधाम यात्रा आने वाले भक्तों की संख्या लगातार रिकॉर्ड बढ़ रही है। अगर कोरोना नहीं होता तो यह और भी ज्यादा होती। कहा कि उत्तराखंड के लोगों ने कोरोना संक्रमण में साहस का परिचय दिया। कोरोना टीकाकरण की पहली डोज में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। इसके लिए प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री धामी को धन्यवाद कहा।

हेमकुंड साहिब में रोपवे बनाने की तैयारी

प्रधानमंत्री ने कहा, चारधाम सड़क परियोजना पर तेजी से काम हो रहा है, चारों धाम हाईवे से जुड़ रहे हैं। भविष्य में यहां केदारनाथ तक श्रद्धालु केबल कार के जरिए आ सकें, इससे जुड़ी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोपवे बनाने की तैयारी है। कहा कि जितनी ऊंचाई पर उत्तराखंड है वह उतनी ही ऊंचाई हासिल करेगा। इसके बाद उन्होंने बाबा केदारनाथ और आदि शंकराचार्य को नमन कर जय केदार के जयकारों के साथ अपना संबोधन समाप्त किया।

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