रजिस्टर्ड चिटफंड कंपनियों में नहीं डूबता पैसा, पोंजी कम्पनियों से सतर्क रहें

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चिटफंड कंपनियों को वैध बताने और उनमें जमा गरीबों की गाढ़ी कमाई का पैसा सुरक्षित होने संबंधी प्रावधानों वाले विधेयक को बुधवार को लोकसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने चिटफंड (संशोधन) विधेयक 2019 पर सदन में दो दिन चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पोंजी कंपनियों और चिटफंड कंपनियों में फर्क है। इस अंतर को बताने वाली जानकारी लोगों तक पहुंचना जरूरी आवश्यक है। रिजर्व बैंक सहित नौ वित्तीय संस्थानों में जो चिटफंड कंपनियां पंजीकृत हैं, उनमें लोगों का पैसा सुरक्षित है, जबकि अनियमित पोंजी कंपनियों में पैसा डूब जाता है।


निवेश सीमा बढ़ाई गई : ठाकुर ने कहा कि चिटफंड एक ऐसी वैधानिक व्यवस्था है, जिसमें गरीब अपना पैसा जमा कर लाभ अर्जित कर सकता है। विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि किसी भी परिस्थिति में गरीबों का पैसा डूबेगा नहीं। इसमें चिटफंड कंपनियों में निवेश की सीमा भी तय की गई है। बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह सीमा निजी स्तर पर एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये और संस्थागत स्तर पर छह लाख रुपये से बढ़ाकर 18 लाख रुपये की गई है। राज्यों को अपने हिसाब से निवेश की सीमा तय करने का अधिकार दिया गया है।

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जीएसटी छूट पर भी विचार : उन्होंने कहा कि चिटफंड में निवेश पर जीएसटी से छूट मिले, इसके बारे में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद में बात कर वहां इस तरह के प्रावधान करने का आग्रह किया जा सकता है। चिटफंड में गरीब ने जो पैसा जमा किया है, वह डूबे नहीं और निवेशक को पूरा पैसा वापस मिले इस विधेयक में यह सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है। चिटफंड कंपनियों की सूची रिजर्व बैंक के पास भी है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि चिटफंड कंपनियों के कामकाज में किसी तरह की अनियमितता न हो, इसका जायजा रिजर्व बैंक किसी भी समय ले सकता है। उसे किसी भी शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करने का अधिकार है। राज्य सरकार को छूट है कि वह रिजर्व बैंक की सहमति से इस विधेयक के किसी प्रावधान में अपने हिसाब से बदलाव कर सकती है।

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घपला रोकने को समिति बनेगी : ठाकुर ने कहा कि चिटफंड कंपनियों में किसी तरह का घपला नहीं हो, इसके लिए राज्यों में समिति बनाने का प्रावधान किया गया है और राज्य के मुख्य सचिव को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। समिति में रिजर्व बैंक के साथ ही सीबीआई, पुलिस और अन्य बलों के अधिकारियों को शामिल किया गया है। तीन महीने में इस समिति की बैठक बुलाने का प्रावधान किया गया है। गरीब का पैसा नहीं डूबे और चिटफंड कंपनियों से उसे लाभ मिले और इन कंपनियों में किसी तरह का घपला नहीं हो, इसके कड़े प्रावधान किए गए