शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच कराने के आदेश से शिक्षकों में आक्रोश, तुगलकी फरमान बताते हुए लिया यह फैसला

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न्यूज जंक्शन 24, हलद्वानी

प्रदेश में शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच कराने के आदेश को लेकर शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि उनके शैक्षिक प्रमाण पत्र पहले से ही विभागीय कार्यालयों में जमा हैं। ऐसे में विभाग खुद उन प्रमाण पत्रों की अपने स्तर से जांच कराए। शिक्षक संगठनों ने सवाल भी उठाया है की अगर किसी शिक्षक के प्रमाण पत्र फर्जी होंगे तो वह यह क्यों सिद्ध करेगा कि उसके प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इस बात की तस्दीक तो विभाग ही कर पाएगा। लिहाजा शिक्षकों पर प्रमाण पत्रों की जांच कराने का जिम्मा ना सौंपकर खुद विभाग को यह कराना चाहिए। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर इस काम को जबरदस्ती शिक्षकों पर सौंपा गया तो वह आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
प्रदेश में कई शिक्षकों की फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने के लिए सामने आए मामलों को लेकर सरकार और विभाग दोनों सकते में हैं। सरकार ने निर्णय लिया शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करा दी जाए जिससे स्थिति क्लियर हो जाएगी कि जो भी फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहे हैं वह लोग चिन्हित हो सकेंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सकेगी। इसी आदेश के क्रम में बेसिक शिक्षा निदेशक आरके कुँवर ने शिक्षकों से अपने शैक्षिक प्रमाण पत्र संबंधित बोर्डों से सत्यापित करा कर विभागीय कार्यालय में जमा करने का आदेश जारी कर दिया।
इस आदेश पर शिक्षकों में गुस्सा भड़क गया। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि इस फरमान पर विभागीय अधिकारियों को पुनर्विचार करना चाहिए। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर किसी शिक्षक के प्रमाण पत्र फर्जी होंगे भी तो बे खुद कैसे कह देगा कि उसके प्रमाणपत्र फर्जी हैं। ऐसे में यह आदेश अव्यवहारिक है। इस को तत्काल रद्द करने की जरूरत है। रही बात शैक्षिक प्रमाणपत्रों की तो 3-3 प्रतियां सभी शिक्षकों की उप शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा है। विभाग चाहे तो उन प्रमाण पत्रों की जांच अपने स्तर से कराएं। इससे विभाग को यह भी फायदा होगा कि कोई भी शिक्षक विभाग को गुमराह भी नहीं कर पाएगा और शिक्षक भी इस काम में ना उलझ कर अपना मूल काम कर सकेंगे। पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि विभाग अपना काम अनावश्यक रूप से शिक्षकों पर ना डाले, अगर इस पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो शिक्षक संगठन सभी शिक्षकों की राय के आधार पर वृहद आंदोलन करने के लिए भी बाध्य हो सकता है।
कुसुमखेड़ा में हुई बैठक में संघ के जिला मंत्री डिकर सिंह पडियार, हलद्वानी के अध्यक्ष मदन सिंह बर्थवाल, मंत्री विजय कुमार, कोषाध्यक्ष अनुपमा बमेठा, ओखलकांडा के अध्यक्ष शमशेर दिगारी, मंत्री गोपाल बिष्ट, कोषाध्यक्ष हीरा बसानी, धारी के अध्यक्ष गोविंद चंदा, मंत्री दीपक दुर्गापाल, कोटाबाग के मंत्री कमल कुमार गिनती, कोषाध्यक्ष पूरन पंत, जिला कार्यकारिणी सदस्य पूरन सिंह बिष्ट व अमित जोशी आदि मौजूद थे।