रेलवे की जमीन मामले में रंग ला रहा बनभूलपुरा संघर्ष समिति का संघर्ष, नए आदेश से जगी उम्मीदें

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हल्द्वानी। शहर में बनभूलपुरा के तमाम लोगों को रेलवे ने अपनी जमीन पर अतिक्रमण बताते हुए नोटिस दे रखे हैं। तभी से यहां की एक बड़ी आबादी की नींद उड़ी हुई है। इन लोगों को बेघर न होना पड़े, इसके लिए बनभूलपुरा संघर्ष समिति पूरे तल्लीनता से जुटी है। एक पट्टा धारक ने सिविल कोर्ट में इस पर वाद दायर किया गया, जिसमें उन्होंने कई तर्क रखे हैं। कहा गया है कि जब भूमि रेलवे की है तो प्रशासन और नगर निगम ने पट्टा कैसे कर दिया। इसलिए अतिक्रमण हटाने से पहले तो यही तय होना चाहिए कि भूमि रेलवे की है अथवा नगर निगम या फिर प्रशासन की। इस पर समिति के अनुसार सिविल कोर्ट ने रेलवे के साथ-साथ नगर निगम और जिला प्रशासन को भी पार्टी बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है।

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बनभूलपुरा संघर्ष समिति के संयोजक उवेश राजा के नेतृत्व में सिविल कोर्ट हल्द्वानी में पट्टा धारक साजिद खान के नाम से वाद दायर किया गया है। उवेश राजा ने दावा किया है कि हल्द्वानी सिविल कोर्ट द्वारा प्रतिवादीगड़
1- भारत संघ जनरल मैनेजर रेलवे जोन गोरखपुर उत्तर प्रदेश।
2- स्टेट ऑफिसर नॉर्थ रेलवे इज्जत नगर बरेली उत्तर प्रदेश।
3- असिस्टेंट डिविजनल मैनेजर काशीपुर जिला उधम सिंह नगर।
4- प्रभागीय मैनेजर नोर्थ ईस्ट जोन बरेली उत्तर प्रदेश ।
5- स्टेशन मास्टर काठगोदाम नैनीताल।
6- राज्य सरकार उत्तराखंड द्वारा जिला अधिकारी कलेक्टर नैनीताल।
7- नगर निगम हल्द्वानी काठगोदाम द्वारा नगर आयुक्त हलद्वानी।
को सिविल कोर्ट द्वारा पार्टी बनाने के नोटिस जारी करने के आदेश जारी हो गए है। यह आदेश आज 27 फरवरी 2021 को प्राप्त हो गए हैं।
समिति के संयोजक उवेश राजा का कहना है कि रेलवे के साथ साथ सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि अब नगर निगम हलद्वानी व उत्तराखंड राज्य सरकार भी पार्टी बनेगी। बनभूलपुरा रेलवे पीड़ितों के लिए ये बहुत बड़ी खुश खबरी है। अभी तक रेलवे प्रकरण मामले में नगर निगम व उत्तराखंड सरकार का कोई भी दखल इस मामले में नहीं था । उवेश राजा ने कहा कि गरीबों को उजड़ने नहीं दिया जाएगा। न्याय के लिए हर स्तर पर संघर्ष जारी रहेगा। उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट से न्याय जरूर मिलेगा।

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पांच वर्षों से जूझ रही है समिति

बनभूलपुरा संघर्ष समिति लगभग 5 वर्षों से रेलवे प्रकरण की पैरवी कर कानूनी लड़ाई लड़ रही है। इस मामले की पैरवी अधिवक्ता श्री ए के शाह, अधिवक्ता मनोज भट्ट व अधिवक्ता नदीम अंसारी जी द्वारा की जा रही है।