अब योगी के घर में सेंध, CM ने जिसे बनाया था राजनीतिक वारिस, उनका परिवार सपा में

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उपेन्द्र दत्त शुक्ला
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न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा और सपा में शह-मात का खेल चल रहा है। कभी भाजपा सपा को चोट पहुंचा रही है तो कभी सपा भाजपा को। पहले भाजपा ने अखिलेश यादव के परिवार में सेंधमारी की तो अब समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक वारिस (Upendra Shukla) के पूरे परिवार को ही अपने पाले में मिला लिया है।

सपा ने गोरखपुर में बीजेपी के परिवार में सेंध लगाते हुए स्वर्गीय उपेन्द्र दत्त शुक्ला (Upendra Shukla) के परिवार के लोगों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है। शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला, उनके पुत्र अरविंद दत्त शुक्ला और अमित शुक्ला ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा का दामन थाम लिया। अब ये कयास लगाये जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी शुभावती शुक्ला को गोरखपुर सदर से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार सकती है।

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योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपेन्द्र दत्त शुक्ला (Upendra Shukla) को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया था और उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर वह मैदान में थे। हालांकि उपेंद्र चुनाव जीत नहीं पाए थे, मगर संगठन को चुस्त-दुरुस्त बनाने में उपेन्द्र दत्त शुक्ला हमेशा माहिर रहे। बात ये भी सही है कि उपेंद्र न कई चुनावों में ताल ठोंकी, मगर कभी भी चुनाव नहीं जीत पाए थे। वह कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से भी तीन बार चुनाव लड़े थे, लेकिन हर बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद बीजेपी ने उन्हे प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया था।

कौन हैं उपेंद्र शुक्ल?

उपेन्द्र शुक्ला (Upendra Shukla) 2013 से लेकर 2018 तक बीजेपी के गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे थे। 2007 में वो गोरखपुर बीजेपी के जिलाध्यक्ष भी थे। वह संघ और बीजेपी के पुराने कैडर के कार्यकर्ता थे। जनसंघ के जमाने से वह बीजेपी से जुड़े थे। छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद की राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। 2018 के उपचुनाव में जब उपेन्द्र दत्त शुक्ल को सफलता नहीं मिली तो 2019 के लोकसभा चुनव में पार्टी ने उनकी जगह फिल्म स्टार रविकिशन को अपना उम्मीदवार बना दिया था।

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2018 का जब उपचुनाव चल रहा था उसी दौरान उपेंद्र बीमार भी हो गए थे। जिसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी ने उन्हे पीजीआई में भर्ती कराया था। एक ऑपरेशन के बाद 4 मार्च को वह डिस्चार्ज हुए थे। चुनाव अभियान में लौटने के बाद जनसभाओं में मंच पर अक्सर वो भावुक हो जाते थे। वह कहते थे कि मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ अब तक मेरे राजनीतिक संरक्षक थे, लेकिन अब वो मेरे जीवन के भी संरक्षक बन गए हैं।

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