केंद्र सरकार का कड़ा कदम, PFI पर 5 साल के लिए लगाया प्रतिबंध, दफ्तरों में लगे ताले, जानें क्यों लगा बैन

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इसमें कहा गया है कि यूएपीए एक्ट के तहत इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, केंद्र सरकार के प्रतिबंध लगाने के बाद पीएफआई (PFI) के दफ्तरों को सील करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।

अधिसूचना में कहा गया है कि पिछले माहों में देश के विभिन्न राज्यों में हुई हत्याओं में पीएफआई का हाथ रहा है। इनमें केरल में अभिमन्यु की 2018, संजीथ की नवंबर 2021 में और नंदू की 2021 में हुई हत्याएं, तमिलनाडु में 2019 में रामलिंगम, 2016 में शशि कुमार की हत्या, कर्नाटक में 2017 में शरथ, 2016 में आर. रुद्रेश, 2016 में ही प्रवीण पुजारी और 2022 में प्रवीण नेट्टारू की नृशंस हत्याओं में इसी संगठन का हाथ रहा है।

पीएफआई का हाथ केरल में 4 जुलाई 2010 को प्रोफेसर टीजे जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काटने में भी सामने आया था। पीएफआई मलयाली प्रोफेसर जोसेफ से नाराज था। संगठन का मानना था कि जोसेफ ने कॉलेज की परीक्षा में कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसका बदला लेने के लिए पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काट दी थी। इस घटना के आरोपियों को एनआईए ने गिरफ्तार किया था।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इस संगठन की गतिविधियों के कई सबूत ऐसे मिले हैं, जिनसे पुष्टि होती है कि यह देश में आतंकी कार्यों लिप्त है। संगठन के सदस्य सीरिया, इराक व अफगानिस्तान में जाकर आईएस के आतंकी समूहों में शामिल हुए, कई वहां मारे गए। कुछ को को विभिन्न राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया। इसके आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के साथ संबंध हैं। यह संगठन देश में हवाला व चंदे के माध्यम से पैसा एकत्रित कर कट्टरपंथ फैला रहा है। युवाओं को बरगला कर उन्हें आतंकवाद में धकेल रहा है।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों, युवाओं, छात्रों और कमजोर वर्गों को निशाना बनाने के लिए अपने कई सहयोगी संगठनों की स्थापना की। इसका मकसद अपना प्रभाव बढ़ाना और फंड जुटाना रहा। जिन संगठनों पर पाबंदी लगाई गई है, उनमें कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन शामिल हैं।

सरकार का कहना है कि रिहैब इंडिया पीएफआई के सदस्यों के माध्यम से धन जुटाता है और जबकि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पार इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन और केरल के कुछ सदस्य पीएफआई के भी सदस्य हैं तथा पीएफआई के नेता जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स आर्गनाइजेशन और नेशनल वीमेन फ्रंट की गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करते हैं।

पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, विद्यार्थियों, महिलाओं, इमामों, वकीलों या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहुंच को बढ़ाने के इरादे से उक्त सहयोगी संगठनों की स्थापना की है। पीएफआई का संबंध पूर्ववर्ती स्टुडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के भी सदस्य रहे थे। सिमी पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

पीएफआई पर पाबंदी की यूपी, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने मांग की थी। इन राज्यों ने केंद्र ने बताया था कि यदि कार्रवाई न हुई तो क्या होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि अगर पीएफआई और उसके संगठनों पर कार्रवाई नहीं की गई तो ये अपनी विध्वंसात्मक गतिविधियां जारी रखेंगे। इससे लोक व्यवस्था भंग होती है और राष्ट्र का संवैधानिक ढांचा कमजोर होगा।