जानलेवा हुई सर्दी, कानपुर में ठंड से सिकुड़े मरीजों के दिल और फेफडे, 11 की मौत

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न्यूज जंक्शन 24, लखनऊ। कानपुर में शीतलहर (Deadly winter) तेज होते ही दिल और सांस के पुराने रोगियों की जान पर आफत आ गई है। शनिवार को फेफड़ों की फाइब्रोसिस के छह और दिल के तीन रोगियों समेत 11 की मौत हो गई। सांस के रोगी इलाज से अभी तक बॉर्डर लाइन पर चल रहे थे।

दवाओं से इनकी स्थिति नियंत्रित थी, पर शीतलहर चलते ही सांस में अचानक दिक्कत हो गई और सांस तंत्र फेल हो गया। हैलट और निजी अस्पतालों में अस्थमा और दमा (सीओपीडी) के मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती किया गया। इनमें से कई मरीज वेंटिलेटर पर हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि शीतलहर (Deadly winter) के कारण मरीजों की सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और खून का थक्का जम जाता है। खून का थक्का जिस अंग में जाता है, वह फेल हो जाता है। शुक्रवार शाम से शीतलहर (Deadly winter) के गति पकड़ते ही सांस के रोगियों का बुरा हाल हो गया। अचानक ठंडक होने से खासतौर पर दमा और अस्थमा के रोगियों को एक्सपोजर हो गया। इससे रोग का अटैक पड़ा और मौत हो गई। शनिवार तड़के रामकुमार (62) और रजनीश (57) की मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि उनका इलाज लालबंगला के निजी अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन के यहां चल रहा था। इसी तरह काकादेव के जगदीश (72), कल्याणपुर की विमला (62) और ज्योति प्रसाद (56) की क्षेत्र के निजी अस्पताल में मौत हुई। इनका इलाज डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में ओपीडी स्तर पर चल रहा था। विमला के बेटे अशोक ने बताया कि सांस उखड़ने पर उन्हें पास के नर्सिंगहोम में ले गए थे।

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इन सभी मरीजों को लंग्स फाइब्रोसिस था। संक्रमण के कारण फेफड़े सिकुड़ गए थे। कोरोना की पहली लहर में संक्रमित हुए ककवन के राजेंद्र (63) और बिरहाना रोड के राजीव (58) की भी मौत हो गई। एक्सरे जांच में उनके फाइब्रोसिस मिली थी। दोनों का इलाज निजी अस्पताल के चिकित्सक के यहां चल रहा था। उन्हें सांस में दिक्कत थी। दोनों डायबिटीज के पुराने रोगी थे। राजेंद्र को परिजन शनिवार सुबह एंबुलेंस से हैलट के लिए लेकर निकले थे, लेकिन रास्ते में ही मौत हो गई। राजीव को परिजन निजी अस्पताल ले गए थे।

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इसी तरह मंधना के सीओपीडी मरीज राघव (47) की मौत हुई। पहले उन्हें चेस्ट हॉस्पिटल लाया गया। यहां आईसीयू ने होने से हैलट भेजा गया। वहां मौत हो गई। टीबी-चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद ने बताया कि क्रोनिक मरीजों को ठंड से बचाव की जरूरत है। वहीं सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. राजीव कक्कड़ ने बताया कि ठंड (Deadly winter) की वजह से दमा और अस्थमा रोगियों की हालत गंभीर हो रही है। ऐसे रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

कॉर्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में शनिवार को हार्ट अटैक के तीन रोगी ब्रॉट डेड पहुंचे। एक रोगी मंधना, एक कल्याणपुर और एक स्वरूपनगर से आया था। कर्मचारियों ने बताया कि दोपहर दो बजे तक तीन ब्रॉट डेड आए। मंधना से लाए गए रोगी रामसनेही (55) के साढ़ू राजेश ने बताया कि उसकी सांस में सुबह तकलीफ हुई और बायीं तरफ भारीपन लगा। जल्दी से कार से यहां लाए, लेकिन मौत हो गई। कल्याणपुर के रोगी नारायण (49) और स्वरूपनगर के रोगी दिनेश (55) का इलाज ओपीडी स्तर पर कॉर्डियोलॉजी में ही चल रहा था।

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