अब चाकू के हमले पर भी चलेगा हत्या का मुकदमा, गैर इरादतन नहीं कहलाएगा। जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

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न्यूज़ जंक्शन 24, नई दिल्ली।

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि चाकू के एक वार से मौत होने पर हत्या का मुकदमा चलेगा, गैर इरादतन हत्या का नहीं। कोर्ट ने कहा कि यह कोई नियम नहीं है कि चाकू के एकल वार से मृत्यु होने पर धारा 302 आईपीसी के तहत केस नहीं चलेगा।
अभियुक्त ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं, जिसमें माना गया है कि चाकू के एकल वार से हुई मौत पर 302 के तहत हत्या का मुकदमा नहीं चलेगा, बल्कि धारा 304 (भाग एक) (गैर इरादतन हत्या) का मुकदमा बनेगा। कोर्ट ने कहा कि एक जख्म से मौत के मामले में कोई पक्का नियम नहीं है कि धारा 302 के तहत केस नहीं चलेगा। ये सब केस की परिस्थिति और तथ्यों पर निर्भर करता है। जख्म की प्रकृति, शरीर पर उसका स्थान, हथियार का प्रकार आदि ऐसे कारक हैं जिससे पता लगता है अभियुक्त ने इरादे के साथ हत्या की है या बिना इरादे के। ये सामान्य नियम के रूप में स्थापित नहीं किया जा सकता कि जब भी धारदार हथियार के वार से मौत होगी, धारा 302 को लागू नहीं किया जाएगा।
अभियुक्त ने कहा कि इस मामले में हत्या का कोई उद्देश्य साबित नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा कि उद्देश्य की अपराध संहिता में कोई उपयोगिता नहीं है। हालांकि, उद्देश्य उस मामले में सहायक होता है जहां सीधे सबूत ना हों और केस परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित हो। कोर्ट ने कहा कि उद्देश्य नहीं बता पाने पर अभियोजन का केस खराब नहीं होता, यदि वह इसे अन्यथा साबित कर रहा हो। कोर्ट ने कहा कि उद्देश्य हमेशा अपराध कर रहे व्यक्ति के दिमाग में होता है, सबूतों की गहराई से जांच करने पर उद्देश्य साबित हो पाता है। जहां निश्चित सबूत हों और चश्मदीद गवाहों के बयान हों, जो अपराध में उसकी भागीदारी सिद्ध कर रहे हैं, ऐसे में उद्देश्य सिद्ध नहीं कर पाने का अभाव अभियोजन का केस प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, केस की परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने मामले को 302 या 304 (भाग दो) के तहत न मानकर धारा 304 (भाग एक) के तहत माना।
यह है मामला
यह मामला तमिलनाडु का था, जहां दोस्तों में चल रही बियर पार्टी के दौरान ये घटना हुई। सभी आपस में दोस्त थे और अचानक हुए झगड़े में यह घटना हुई। चाकू जैसी वस्तु से अभियुक्त ने वार किया जो शरीर के नाजुक हिस्से पर लगा और दोस्त की मौत हो गई। पुलिस ने यह मामला 302 के तहत दर्ज किया कि अभियुक्त को मालूम था कि उस वार से मौत हो सकती है। सेशन कोर्ट और हाईकोर्ट ने इसे हत्या ही माना।

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