तहसीलदार ने भेजा नोटिस तो फूट-फूट कर रो पड़ीं भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य

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न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अब प्रतिद्वंद्वियों को मात देने के लिए आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। नैनीताल विधासभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य पर भी आरोप लगा है कि उन्हाेंने अपनी जाति के प्रमाण पत्र (Sarita arya caste certificate) में हेराफेरी की। हालांकि सरिता आर्य पर यह आरोप काफी समय से लगते आ रहे हैं, जिसका पूर्व में पटाक्षेप भी हो चुका है। मगर एक बार फिर से यह मुद्​दा नैनीताल की सियासी गलियारों में उछलने लगा है। जिस पर जवाब देते हुए पूर्व विधायक सरिता आर्य सोमवार को मीडिया के सामने फूट-फूटकर रो पड़ीं आैर कहा कि बचपन से ही अपनी मां के साथ पली बढ़ी है। ऐसे में बार-बार उनकी जाति पूछ कर उन्हें पिता की नाजायज संतान कहलवाया जा रहा है।

इस दाैरान सरिता ने कांग्रेस और उनके प्रत्याशी पर खूब हमले किए । उन्होंने कांग्रेस और कांग्रेस उम्मीदवार पर षडय़ंत्र के तहत मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। कहा कि जाति प्रमाण पत्र के मामले मेें कई बार प्रमाण देने के साथ ही वह हाई कोर्ट में भी खुद को साबित कर चुकी है। इसके बाद भी उनकी जाति पर सवाल खड़े कर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द न्यायालय की शरण लेने के साथ ही संबंधित व्यक्ति पर मानहानि का दावा भी करेंगी।

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सरिता ने कहा कि उनकी जाति (Sarita arya caste certificate) पर सवाल उठाये जाने का मामला नया नहीं है। 2003 में पालिका चुनाव लडऩे के बाद से कई बार इसको लेकर सवाल उठाये गए है। 2012 में वह इसको लेकर हाई कोर्ट में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है। अब चुनाव से ठीक पहले नैनीताल से बाहर गौलापार निवासी एक व्यक्ति को मोहरा बनाकर इस मुद्दे को उठाकर कांग्रेस षडयंत्र रच रही है। उन्होंने कांंग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य पर आरोप लगाया कि कहा भाजपा से टिकट मिलने के बाद उनके खिलाफ षडय़ंत्र रचकर उन्हें प्रताडि़त किया जा रहा है। जिसको लेकर उन्होंने तहसीलदार को पत्र लिखकर शिकायती पत्र का ब्योरा मांगा है।

पिता ने की थी दो शादियां

सरिता ने बताया कि उनके पिता ने दो शादियां की थी, मगर पिता के साथ रहने के बजाय बचपन से वह अपनी मां के साथ ही रही। मां अनुसूचित जाति की थीं। मां ने ही उनका पालन पोषण किया। 2012 में हाई कोर्ट पहुंचने के बाद कोर्ट ने भी उनकी माता के उनका भरण पोषण करने के कारण उनकी जाति को अनुसूचित जाति माना, मगर उनके खिलाफ षडयंत्र कर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है।

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ये है पूरा मामला

गौलापार के बागजाला निवासी हरीश चंद ने सरिता की जाति (Sarita arya caste certificate) को लेकर सवाल उठाए हैं और तहसीलदार नवाजिस से इसकी शिकायत की है, जिसके बाद तहसीलदार ने जवाब देने के लिए सरिता आर्य को नोटिस भेजा है। तहसीलदार ने बताया कि शिकायत करने वाले बागजाला निवासी हरीश चंद ने अपने दावों के पक्ष में दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। आरटीआई के जरिए हासिल की गई सूचना के जरिए हरीश चंद ने दावा किया है कि सरिता सवर्ण जाति से संबंध रखती हैं। उनके भवाली स्थित जीबी पंत स्कूल के दस्तावेज मेें पिता का नाम कुलदीप सिंह दर्ज है, जो सिख समुदाय से थे और सवर्ण थे।

हरीश ने 1984 में उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जारी शासनादेश को भी संलग्न किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि अनुसूचित जाति, जनजाति की कोई स्त्री किसी स्वर्ण से विवाह करती है तो उसे विवाह उपरांत भी पूर्व से मिल रहा आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा अलबत्ता यदि स्वर्ण स्त्री किसी अनुसूचित जाति-जनजाति के पुरुष से विवाह करती है तो उस स्त्री को आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत लाभ अनुमन्य नहीं होगा। शिकायतकर्ता का कहना है कि सरिता के पिता कुलदीप सिंह सिख समुदाय के थे और सामान्य वर्ग के थे। लिहाजा उनका जाति प्रमाण पत्र (Sarita arya caste certificate) गलत है।

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