मां की गर्दन धड़ से अलग करने वाले हत्यारे बेटे को सजा-ए-मौत, जज बोलीं…

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मृतक जोमती देवी और हत्यारा बेटो डिगर सिंह
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न्यूज जंक्शन 24, नैनीताल। करीब 3 साल पहले हल्द्वानी के गौलापार इलाके में दराती से बार-बार वार कर मां की गर्दन धड़ से अलग कर हत्या करने वाले बेटे (Son Killed his mother) को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। प्रथम अपर जिला सत्र न्यायाधीश प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। वहीं जानलेवा हमला करने के मामले में भी कोर्ट ने उसे उम्रकैद और 5 हजार रुपये की सजा सुनाई है।

यह घटना 7 अक्टूबर 2019 की है। जब नवरात्रि की नवमी तिथि काे लोग देवी मां की पूजा में व्यस्त थे, उसी दिन हल्द्वानी के गौलापार इलाके के उदयपुर रैक्वाल क्यूरा फार्म में एक बेटे ने अपनी मां की हत्या (Son Killed his mother) कर दी थी। घटना सुबह करीब 9-10 बजे की थी। मां जोमती देवी से किसी बात पर बेटे डिगर सिंह कोरंगा का विवाद हो गया था। इस पर गुस्से में आकर डिगर सिंह ने दराती से वारकर अपनी मां जैमती देवी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। उसी दिन मृतका जोमती देवी के पति सोबन सिंह ने चोरगलिया थाने में बेटे डिगर सिंह कोरंगा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

सोबन सिंह ने बताया कि घटना के दिन पत्नी जोमती देवी व बेटा डिगर सिंह घर पर थे। एकाएक दोनों के बीच कुछ पारिवारिक विवाद हुआ, तभी डिगर सिंह ने दराती से अपनी माता के गर्दन पर वार कर उसकी हत्या (Son Killed his mother) कर दी है। पुलिस जब आरोपित को पकडऩे गई तो वह पुलिस कर्मियों को भी दराती लेकर मारने के लिए दौड़ पड़ा, बमुश्किल उसे ग्रामीणों की मदद से काबू कर गिरफ्तार किया गया।

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पुलिस ने मौके से आलाकत्ल भी बरामद किया था, जिसे जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला देहरादून भेजा गया। वहां की रिपोर्ट में भी आलाकत्ल से वारकर हत्या करने की पुष्टि हुई। कोर्ट ने दो दिन पहले ही अभियुक्त को मां की हत्या का दोषी करार दे दिया था। बुधवार को उसकी सजा पर बहस सुनाई।

सजा पर बहस करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील शर्मा ने कहा कि जिस मां ने नौ माह गर्भ में पाला, उसी बेटे ने मां की निर्ममता से हत्या कर दी। इसलिए अभियुक्त के लिए मौत की सजा भी कम है। डीजीसी ने कहा कि पत्नी की मौत के बाद पति सोबन सिंह असहाय हो गए हैं। उन्होंने धारा-437 ए के प्रावधान के अनुसार मृतका के पति की आर्थिक स्थिति कमजोर बताते हुए शासन से क्षतिपूर्ति दिलाने का अनुरोध भी किया, जबकि बचाव पक्ष ने न्यूनतम सजा देने की गुजारिश की। कोर्ट ने अभियोजन व बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद अभियुक्त को हत्या का दोष सिद्ध होने पर फांसी और जानलेवा हमले में उम्रकैद की सजा सुनाई।

गवाहों ने दिए थे बयान

अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए अदालत में प्रत्यक्षदर्शी गवाहों ने भी बयान दर्ज कराए। बताया कि जब वह सोबन सिंह के मकान के समीप से गुजर रहे थे तो देखा कि डिगर सिंह अपने घर के आंगन में एक हाथ से मां जोमती देवी के सिर के बाल पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से मां के गर्दन पर दराती से वार कर रहा था। जाेमती देवी के चिल्लाने पर उसकी बहू यानी अभियुक्त की पत्नी नैना कोरंगा भी मौके पर आई, तब भी डिगर सिंह अपनी माता जोमती देवी की गर्दन पर वार कर रहा था। बीच-बचाव में उसने नैना पर भी जानलेवा हमला किया, जिससे वह जख्मी हो गई थी। हत्यारोपी डिगर सिंह को काबू करने के लिए पड़ोसी इंद्रजीत सिंह ने हिम्मत दिखाई। आरोपी ने इंद्रजीत के हाथ में दांत से काट लिया था। इस दौरान गिरने के कारण इंद्रजीत का हाथ भी फ्रेक्चर हो गया, जबकि बलजीत सिंह व सिपाही जग्गा सिंह भी घायल हो गए। आरोपित मानसिक रूप से बीमार था और उसका सुशीला तिवारी अस्पताल में उपचार चल रहा था। घटना से पांच दिन पहले ही उसने दवा खाना छोड़ा था।

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जज बोलीं- दया का काबिल नहीं ऐसा बेटा

अभियुक्त को सजा सुनाते हुए एडीजे प्रथम प्रीतू शर्मा ने कहा कि अभियुक्त मृतका का सगा पुत्र था। उसका मृतका के साथ विश्वास का रिश्ता था। अभियुक्त ने बिना किसी गंभीर कारण के यह हत्या (Son Killed his mother) की और यह वारदात इतनी क्रूरता से की कि जिसने न केवल न्यायिक बल्कि सामाजिक विवेक को भी झकझोर दिया। उसके प्रति उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता। यह केस दुर्लभ से दुर्लभतम है, इस बिंदु को देखे जाने से साफ है कि अभियुक्त ने अपनी मां की निर्मम हत्या की, जबकि मां का स्थान सामाजिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी पर ईश्वर के समान माना जाता है और मां द्वारा अपने पुत्र के पालन पोषण में किए गए श्रम का कोई विकल्प नहीं हो सकता। जज प्रीतू शर्मा ने कहा कि दोषी के स्वाभाव में सुधार होने और उसका पुनर्वास करने पर वह दोबारा ऐसा अपराध नहीं करेगा, इसकी संभावना दिखाई नहीं देतीं। यह भी परिस्थिति नहीं सामने आई कि उससे अपराध किसी अन्य कारणवश हुआ हो। इस अपराध का असर समाज पर पडऩा स्वाभाविक है। इसलिए समाज में न्याय का संदेश देने के लिए दोषी को सजा देना जरूरी है। अभियुक्त को मृत्युदंड व आजीवन कारावास समेत अर्थदंड से न्याय के उद्देश्य की पूर्ति हो जाएगी।

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