चंपावत के इस गांव में फैली खतरनाक बीमारी, अस्पताल पहुंचे ग्राम प्रधान समेत 30 मरीज, आठ महीने के एक बच्चे की मौत

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चंपावत। नेपाल सीमा से लगे जिले के सुल्ला गांव में उल्टी-दस्त से आठ माह के एक बच्चे की मौत हो गई है। उसे मंगलवार सुबह सीएचसी लोहाघाट लाया गया था, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके अलावा ग्राम प्रधान समेत 20 अन्य मरीज भी जिला अस्पताल और सीएचसी में भर्ती है। 15 मरीज गांव में हैं, जिन्हें अस्पताल लाने की तैयारी चल रही है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग के हाथ पांव फूल गए हैं। विभाग की टीम गांव के लिए रवाना हो गई है। एक दिन पूर्व भी सोमवार को चिकित्सकों ने सुल्ला गांव जाकर मरीजों का उपचार किया था।

ग्रामीण अर्जुन सिंह का आठ माह का पुत्र कृष्ण चार दिन से उल्टी दस्त और बुखार से पीडि़त था। मंगलवार को हालत ज्यादा खराब होने पर परिजन उसे उपचार के लिए सीएचसी लोहाघाट ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सोमवार को गांव पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसका उपचार कर दवा भी दी थी। लोहाघाट के सीएमएस डा. जुनैद कमर ने बताया कि परिजन मंगलवार की सुबह कृष्ण सिंह को उपचार के लिए लाए थे लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। बताया कि मौत के बाद बच्चे के शव का पोस्टमार्टम किया गया। उन्होंने मौत का कारण उल्टी-दस्त के कारण शरीर में पानी की कमी होना बताया।

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सीएमओ डा. आरपी खंडूरी ने बताया कि घटना के बाद एक बार फिर से जरूरी दवाओं के साथ गांव में डाक्टरों की टीम भेज दी गई है। इस घटना से ग्रामीणों में भी भय का माहौल पैदा हो गया है। अभी भी कई लोग उल्टी, दस्त, बुखार से पीडि़त हैं। ग्राम प्रधान सावित्री सामंत समेत 15 लोगों को जिला अस्पताल और पांच का सीएचसी लोहाघाट में उपचार चल रहा है। जबकि गांव में भी उल्टी दस्त के अभी भी 15 मरीज हैं। इन सभी को अस्पताल में भर्ती करने की तैयारी की जा रही है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से गांव में कैंप लगाकर मरीजों का उपचार करने की मांग की है। ग्राम प्रधान पति त्रिलोक सिंह ने बताया कि गांव में कई लोग बुखार से भी पीडि़त हैं।

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गंदे पानी से बनी जलेबी खाने से हुए बीमार

स्वास्थ्य विभाग ने सुल्ला गांव में उल्टी दस्त होने का कारण लोगों द्वारा दूषित जल का सेवन करना और बासी जलेबी एवं अन्य फास्ट फूड खाना बताया है। सोमवार को जिला चिकित्सालय के आरआरटी, आइडीएसपी प्रभारी डा. कुलदीप यादव ने इस आशय की रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी थी। उन्होंने कहा था कि गांव को जोडऩे वाली मुख्य सड़क के समीप नौले के पानी दूषित पाया गया है। सातूं पर्व के दौरान दुकानदारों ने इसी नौले के पानी से जलेबी व अन्य फास्ट फूड तैयार किए थे। इस रिपोर्ट के बाद अब ग्रामीणों ने इस नौले के पानी का उपयोग बंद कर दिया है।

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