भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान चैपमैन का 49 वर्ष की उम्र में निधन, कमर दर्द की शिकायत पर हुए थे भर्ती

206
खबर शेयर करें -

बेंगलुरु। भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान कार्लटन चैपमैन का सोमवार को निधन हो गया। वह 49 वर्ष के थे। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 1997 में नेपाल में सैफ चैंपियनशिप जीती थी। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने चैपमैन के निधन पर शोक जताया है।

चैपमैन को कमर में दर्द की शिकायत के बाद बेंगलुरु के अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान तड़के पांच बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। भारतीय टीम के अलावा वह जेसीटी मिल्स और ईस्ट बंगाल क्लब के लिए भी खेले थे। 2001 में उन्होंने फुटबॉल से संन्यास ले लिया था जिसके बाद वह कोच बन गए थे।

चैपमैन बेंगलुरु के फुटबॉल क्लब सदर्न ब्लूज के लिए खेले। इसके बाद 1990 में उन्होंने टीएफए के साथ अपने सफर को आगे बढ़ाया। वह इस क्लब के साथ 1993 तक जुड़े रहे। वह 1995 तक ईस्ट बंगाल क्लब के लिए खेले और उसके बाद उन्होंने 1995 में जेसीटी मिल्स का दामन थामा। 1993 में ईस्ट बंगाल के लिए खेलते हुए उन्होंने एशियन विनर्स कप में इराकी क्लब अल-जावरा के खिलाफ हैट्रिक जमाई थी। उनके शानदार प्रदर्शन की बदौलत ईस्ट बंगाल ने 6-2 से यह मुकाबला जीता।

उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने 1997 में नेपाल में सैफ चैंपियनशिप जीती थी। उन्होंने 39 मैचों में छह गोल किए जिसमें से पांच गोल कप्तान रहते दागे थे। वह मद्रास (अब चेन्नई) में हुए 1995 सैफ खेल, 1997 में कोच्चि में हुए नेहरु कप और मडगाव में 1999 सैफ चैंपियनशिप में भारतीय टीम का हिस्सा थे।

पूर्व मिडफील्डर चैपमैन ने जेसीटी मिल्स और ईस्ट बंगाल के लिए नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) का खिताब जीता था। उन्होंने 1980 के दशक के मध्य में बेंगलुरु के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की।

जेसीटी मिल्स के लिए खेलने के दौरान उनकी टीम ने 14 टूनार्मेंट जीते। इस टीम में आईएम विजयन और बाइचुंग भूटिया जैसे टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी भी शामिल रहे थे। चैपमैन ने 1997-98 तक एफसी कोच्चि के लिए भी खेला लेकिन इसके बाद 1998 में ईस्ट बंगाल टीम में लौट आए। उनके नेतृत्व में ईस्ट बंगाल ने 2001 में एनएफएल का खिताब जीता।

ईस्ट बंगाल क्लब के लिए खेलते हुए उन्होंने 1993, 1998, 2000 में कलकत्ता प्रीमियर लीग का खिताब जीता। उन्होंने आईएफए शील्ड 1994, 2000 में दो बार, डूरंड कप, रोवर्स कप और कलिंगा कप जीता। घरेलू स्तर पर उन्होंने 1993, 1994 1998 में राष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशिप संतोष ट्राफी जीती। उन्होंने 1995 में गोवा के खिलाफ संतोष ट्रॉफी के इतिहास का पहला गोल्डन गोल किया था।

चैपमैन ने 2002 में टाटा फुटबॉल अकादमी से कोचिंग करियर की शुरुआत की थी। वह रॉयल वाहिंग्दोह, भवानीपुर एफसी, स्टुडेंट यूनियन एफसी, सुदेवा एफसी के कोच बने। हाल ही में उन्हें कोझिकोड के क्लब क्वार्टज एफसी का तकनीकी निदेशक नियुक्त किया गया था।