पूर्व IAS केशव देसीराजू का निधन, उत्तराखंड को दी थी 108 एंबुलेंस सेवा की सौगात, भवाली टीबी सेनेटोरियम को बचाने में भी था योगदान

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देहरादून। देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के पोते और पूर्व स्वास्थ्य सचिव केशव देसीराजू अब हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार को उनका निधन हो गया। वह 1978 बैच के उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी थे। केशव देसी राजू उत्तराखंड के इतिहास में अब तक के सबसे ज्यादा ईमानदार और जन भावनाओं से जुड़े अधिकारी माने जाते हैं।

उत्तराखंड में एमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 108 की स्थापना का श्रेय केशव देसीराजू को ही जाता है। यह उनकी रणनीति और दूरदर्शिता का ही नतीजा था कि उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों और यहां के दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने के लिए उन्होंने एक विजन रखा और उसको अमलीजामा पहनाया। साल 2008 में शुरू हुई 108 सेवा का तत्कालीन संचालन करने वाली कंपनी ईएमआरटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनूप नौटियाल बताते हैं कि पूर्व आईएएस अधिकारी केशव देसी राजू एक मानवीय दृष्टिकोण वाले व्यक्ति थे और 108 की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

अल्मोड़ा के रहे थे डीएम, यहीं बनवाया था अपना घर

पूर्व आईएएस अधिकारी केशव देसीराजू साल 1988 से 1990 तक अल्मोड़ा जिले के जिलाधिकारी रहे। इस दौरान उन्होंने पहाड़ के जीवन को बेहद करीब से देखा और खुद को जन भावनाओं से जोड़ते हुए उन्होंने अपना घर भी अल्मोड़ा में बनाया। आज भी उनका घर अल्मोड़ा में मौजूद है।

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भवाली टीबी सेनेटोरियम को बिकने से बचाया

यही नहीं, भवाली टीबी सेनेटोरियम को बचाने में भी केशव देसीराजू ने अहम रोल अदा किया था। उन्होंने इसे बिकने से रोका था। भवाली में टीबी के मरीजों के लिए बनाए गए सेनेटोरियम को सरकार हिमानी कंपनी को बेचने को तैयार थी। राजनीतिक दबाव के कारण देसीराजू ने एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर तो कर दिए, लेकिन आज भी उन्हीं की वजह से यह मामला कोर्ट में अटका हुआ है। नैनीताल जनपद के भवाली में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1912 में टीबी सेनेटोरियम अस्पताल की स्थापना की थी। पंडित नेहरू ने इस अस्पताल को तब बनाया था, जब देश में टीबी एक महामारी के रूप में थी और टीबी लाइलाज बीमारी मानी जाती थी। उस वक्त बड़े के लोग तो टीबी के इलाज के लिए देश के बाहर चले जाते थे। लेकिन आम जनता के लिए कोई सुविधा नहीं थी। इस दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन को टीबी हुआ और डॉक्टरों ने की सलाह पर उन्होंने भवाली में मौजूद बांज के जंगलों के बीच टीबी रोगियों के अनुकूल वातावरण वाली जगह पर टीबी अस्पताल की स्थापना की। भवाली टीबी सेनेटोरियम की शुरूआत पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन के बहाने की गई, लेकिन इस अस्पताल से देश के न जाने कितने हजार लोग ठीक हुए। इस लिहाज से यह उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश की भी एक बड़ी धरोहर थी। यही बात उस समय के तत्कालीन प्रमुख सचिव स्वास्थ्य केशव देसी राजू के जेहन में थी। लेकिन इस अस्पताल को राजनीतिक दबाव के कारण हिमानी कंपनी को सुपुर्द किया जा रहा था, जो कि केशव देसी राजू को बिल्कुल भी रास नहीं आया। राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें एग्रीमेंट पर साइन तो करना पड़ा, लेकिन उनका जहन बिल्कुल भी इस बात के लिए राजी नहीं था। लगातार इसी तरह के दबाव के चलते वह उत्तराखंड से दिल्ली चले गए और केंद्र में वह 2010 में सचिव स्वास्थ्य के पद पर नियुक्त हुए।

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