उत्तराखंड पहुंचा भाजपा का यह दिग्गज नेता, कांग्रेस और अन्य विपक्षियों में फैला ‘डर’

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। मतगणना में बस तीन दिन रह गए हैं। इसके बाद प्रदेश को नई सरकार मिल जाएगी। मगर उससे पहले एग्जिट पोल आ चुके हैं, जिसमें उत्तराखंड में भाजपा-कांग्रेस के बीच जीत फंसती दिख रही है। कांटे की इस टक्कर के बाद संभावना बन रही है कि राज्य का चुनाव परिणाम त्रिशंकु हो सकता है। ऐसे में कुछ विधायकों को लेकर बात फंस सकती है। इस स्थिति को भांपते हुए भाजपा ने अपना प्लान बी बना लिया है और पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (kailash vijayvargiya) रविवार को देहरादून पहुंच चुके हैं।

मगर उत्तराखंड में मतगणना से पहले बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय (kailash vijayvargiya)  की मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में बहस पैदा कर दी है। कांग्रेस उनकी मौजूदगी से असहज महसूस कर रही है। वहीं यूकेडी की भी इसे लेकर भड़क गई है। यूकेडी के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि कैलाश विजयवर्गीय खरीद-फरोख्त के लिए उत्तराखंड आ चुके हैं, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग बिकने वाले नहीं हैं।

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वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी कहा है कि भाजपा के नापाक इरादों और तरीकों को कांग्रेस नाकाम करेगी। यह मीडिया की अटकलें हैं। फिलहाल कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को कहीं छुपा नहीं रही हैञ वहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत ने तो सोशल मीडिया पर खुलकर कह दिया है कि विजयवर्गीय (kailash vijayvargiya)  के आने से लोकतंत्र के पहरेदार सावधान रहें, क्योंकि दलबदल और नेताओं की खरीद फरोख्त का खतरा मंडरा रहा है।

हरीश रावत ने बिना नाम लिए कहा कि बंगाल में भी इन्होंने (kailash vijayvargiya)  इसी तरीके की खरीद-फरोख्त की और पिटे भी। बिहार में भी इसी तरीके की खरीद-फरोख्त की कोशिश की और पिटे भी। इस काम में इनका हौसला इतना बढ़ा है कि 2016 में उत्तराखंड में की गई खरीद-फरोख्त के बाद अब फिर से ये पुराने शातिर खिलाड़ी उत्तराखंड पहुंच चुके हैं। मैं कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड के लोकतंत्र पहरुओ सावधान, कांग्रेस तो सावधान है ही है।

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विजयवर्गीय की उपस्थिति इसलिए मचा रही खलबली 

माना जा रहा है कि राज्य की 70 में से लगभग दस सीटों पर बसपा, यूकेडी और निर्दलियों का कब्जा हो सकता है। ऐसे में शेष 60 सीटों में से बहुमत का आंकड़ा छूने में कांग्रेस या भाजपा को कठिनाई आ सकती है। अगर कांग्रेस सबसे बड़े दल के तौर उभरी और बहुमत के आंकड़े से दूर रही तो भारतीय जनता पार्टी बसपा, यूकेडी और निर्दलियों पर डोरे डाल सकती है। कैलाश विजयवर्गीय को जोड़-तोड़ की इस राजनीतिक का माहिर माना जाता है। ऐसे में मतगणना से पहले उनकी उत्तराखंड में एंट्री को जोड़-तोड़ के तौर पर देखा जा रहा है।

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