म्यांमार में जब कर्नल अजय कोठियाल हुए थे किडनैप, मसीहा बन आए थे बिपिन रावत

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। सीडीएस बिपिन रावत के असमय निधन से देश सदमे में है। उनके जाने के बाद हर कोई उन्हें अपने-अपने तरीके से याद कर रहा है। उनके साथ बिताये पलों को याद कर आज भी उनके चाहने वालों की आंखें नम हैं। आम आदमी पार्टी के नेता रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल (Colonel Ajay Kothiyal) भी सीडीएस बिपिन रावत के साथ बिताए पलों को याद करते हुए भावुक हाे गए।

कर्नल अजय कोठियाल (सेनि.) (Colonel Ajay Kothiyal) ने कहा कि बिपिन रावत के रूप में आज देश ने एक बहादुर और जांबाज योद्धा खो दिया है। सीडीएस बिपिन रावत से उनका पारिवारिक जुड़ाव था। वे हमेशा उनके मेंटोर रहे और रहेंगे। अजय कोठियाल (सेनि.) (Colonel Ajay Kothiyal) ने बताया कि बिपिन रावत के पिताजी ने गोरखा रेजिमेंट में सिपाही के पद से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर रहकर देश सेवा की, जिससे प्रेरणा लेकर बिपिन रावत भी सेना के सर्वोच्च पद पर रहने के बाद सीडीएस जैसे अहम पद पर पहुंचे। फौज में रहते हुए जो भी मिशन लिए उनको बखूबी अंजाम दिया। सभी उनके मुरीद थे।

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अजय कोठियाल (Colonel Ajay Kothiyal) ने कहा उन्होंने सीडीएस बिपिन रावत से जीवन में बहुत कुछ सीखा है। उन्हें उनके साथ काम करने का भी मौका मिला, जो उनके लिए गौरव की बात है। बीते दिनों को याद करते हुए कर्नल अजय कोठियाल (सेनि.) ने कहा, जब मैं सेना में मेजर था, उस दौरान मेरी पहली मुलाकात बिपिन रावत से हुई थी। वे मेरे मेंटोर थे।

इसके अलावा अजय कोठियाल (सेनि.) (Colonel Ajay Kothiyal) म्यांमार इंटरनेशनल प्रोजेक्ट का जिक्र करना भी नहीं भूले। अजय कोठियाल ने बताया कि जब वे म्यांमार इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, तब वहां वो किडनैप कर लिए गए थे। तब सीडीएस बिपिन रावत ने मध्यस्थता कराते हुए हमें दुश्मनों के चंगुल से बाहर निकला था। उसके बाद उन्होंने उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराई थी।

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क्या था कोठियाल का म्यांमार प्रोजेक्ट

केदारनाथ पुनर्निर्माण के बाद कर्नल कोठियाल की वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भारत सरकार के महत्वाकांक्षी कालादान रोड प्रोजेक्ट का कार्य किया। इसी दौरान तीन नवंबर को कर्नल कोठियाल अपनी चार-सदस्यीय टीम के साथ प्रोजेक्ट की रेकी करने म्यांमार गए तो वहां अराकान आर्मी (म्यांमार का विद्रोही संगठन) ने उनका अपहरण कर लिया। तब भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद ने उन्हें छ़ुड़ा लिया गया। इसमें बिपिन रावत का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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