चंपावत के जिलाधिकारी ने GIC में बच्चों के साथ जमीन पर बैठ कर खाया मिड डे मील, देखकर हर कोई हैरान

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# Champawat District Magistrate ate mid-day meal in GIC
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न्यूज जंक्शन 24, चंपावत। चंपावत का सूखीढांग राजकीय इंटर काॅलेज एक बार फिर से पुराने मुद्​दे की वजह से चर्चा में हैं। मगर शुक्रवार को यह एक और वजह से चर्चा में आ गया। जब जिले के डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी विद्यालय पहुंच गए। डीएम साहब के आने से स्‍कूल में खलबली सी मच गई। इस दौरान मिड डे मील का भी समय हो गया था। कलेक्‍टर साहब झट से छात्राें संग खुद भी जमीन पर आसन लगाकर मिड डे मील खाने बैठ गए (Champawat District Magistrate ate mid-day meal in GIC) । डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी के इस व्‍यवहार से हर कोई भौंचक्‍का था।

दरअसल, डीएम के इस कदम का उद्​देश्य जातिगत अौर छुआछूत का दूर करने के लिए संदेश देना था। बीते कुछ दिनों से राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग के कक्षा 6 से 8वीं तक सवर्ण वर्ग से आने वाले कुछ छात्र अनुसूचित जाति की भोजनमाता के तैयार किए गए भोजन को खाने से इन्कार कर दे रहे थे। इसे लेकर गुरुवार को अभिभावकों के साथ बैठक भी हुई थी, मगर कोई समाधान नहीं निकल सका था। इस पर प्रधानाचार्य ने चेतावनी देते हुए खाना न खाने वाले छात्रों की टीसी तक काट दी थी। इसकी जानकारी होने पर शुक्रवार को जिलाधिकार नरेंद्र सिंह भंडारी विद्यालय पहुंच गए।

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उन्होंने प्रधानाचार्य से पूरे मामले की जानकारी ली और स्कूल के सभी बच्चों के साथ जमीन में बैठकर भोजन किया (Champawat District Magistrate ate mid-day meal in GIC) और छुआछुत की भावना को सभ्य समाज के लिए कलंक बताया। उन्होंने सवर्ण वर्ग के बच्चों के अभिभावकों से वार्ता कर बच्चों के मन से भेदभाव की भावना को दूर करने की अपील भी की। डीएम ने प्रधानाचार्य, पीटीए और विद्यालय प्रबंधन समिति को शीघ्र इस विवाद को सुलझाने के निर्देश भी दिए।

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पहले भी इसे लेकर हुआ था विवाद

जीआइसी सूखीढांग में अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथ से पका खाना न खाने का मामला दिसंबर में पहले भी सामने आया था। तब भी सवर्ण वर्ग के बच्चों ने भोजनमाता के हाथ से बनाया खाना खाने से इन्कार कर दिया था। तब इस मुद्​दे ने राजनीतिक रूप भी ले लिया था। हालांकि प्रशासन और शिक्षा विभाग के प्रयासों से उस समय मामला शांत हो गया था। इसके बाद विद्यालय में शीतकालीन अवकाश हो गया था। मगर अब एक बार फिर से सवर्ण वर्ग के बच्चों ने एससी भोजन माता के हाथ से बने भोजन को खाने से मना करना शुरू कर दिया है।

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