सांसदों को झटका, केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए कोटा खत्म, अब बढ़ जाएंगी 30 हजार सीटें

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सांसद कोटे और जिलाधिकारी कोटे से स्कूलों में प्रवेश पर बड़ा फैसला लिया है। संगठन ने केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों और जिलाधिकारियों के कोटे से बच्चों के एडमिशन (Kendriya Vidyalaya admission quota) पर रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद अब सांसद और जिलाधिकारी अपने कोटे से बच्चों को प्रवेश नहीं दिला सकेंगे। यह नियम अब अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा।

बीते हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जब देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों (Kendriya Vidyalaya admission quota) को बढ़ाने या इसे खत्म करने की मांग सदन के सामने रखी थी, तभी से इसको लेकर चर्चा जारी थी। कई सांसदों ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की थी, तो कई कोटे की सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया था। वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना था कि सदन मिलकर इस बात का फैसला करेगी कि क्या सांसद कोटे को बढ़ाया जाए या इसे खत्म कर दिया जाए। अब सरकार ने इस कोटे (Kendriya Vidyalaya admission quota) को खत्म करने का निर्णय लिया है।

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साल 1975 में शुरू हुआ था कोटा

साल 1975 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों में विशेष योजना के तहत सांसद कोटा का निर्धारण किया था। इसके तहत लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों के लिए सीटों की संख्या तय की गई थी। इसके माध्यम से जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के प्रमुख और जरूरतमंद लोगों को सुविधा दे सकते थे। सांसद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय विद्यालय संगठन को एक कूपन और छात्र जिसका प्रवेश कराना हो, उसकी पूरी जानकारी भेजते थे। इसके बाद संगठन अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर शॉर्टलिस्ट किए गए छात्र का नाम जारी करता था और इसके बाद एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होती थी। यह सुविधा केवल पहली से नौवीं कक्षा तक ही लागू होती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास भी 450 छात्रों को प्रवेश दिलाने का कोटा दिया गया था।

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10 छात्रों के एडमिशन का था अधिकार

अब तक हर सांसद 10 और विद्यालय प्रबंधक समिति अध्यक्ष के नाते हर कलेक्टर अपने जिले के प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में न्यूनतम 10 छात्रों का रजिस्ट्रेशन अपने कोटे (Kendriya Vidyalaya admission quota) से करा सकता था।

बढ़ जाएंगी 30 हजार सीट

वहीं, कोटा खत्म होने के बाद बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि सांसद कोटे से 7,500 और कलेक्टर कोटे से देशभर में 22,000 छात्रों के दाखिले होते रहे हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन में न आरक्षण के नियमों का पालन होता था और न ही योग्यता को आधार बनाया जाता था। दाखिले को कोटा मुक्त करने से आरक्षण और योग्यता के आधार पर रजिस्ट्रेशन के लिए एक झटके में 30 हजार सीटें बढ़ जाएंगी। इसका लाभ एससी, एससी, ओबीसी और EWS वर्ग के बच्चों को मिलेगा।

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