spot_img

नौ माह से पैदल चल रहा राजस्थान का ये दम्पति, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

बरेली। सुमन और भवानी सिंह पति और पत्नी हैं। राजस्थान में रहते हैं। नौ माह से दोनों पैदल चल रहे हैं, क्योंकि वह देश की संस्कृति को जानना चाहते हैं। विविधताओं से भरे देश में जहां हर पांच किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है, जहां पहनावा बदल जाता है, इतना सबकुछ होने के बाद एक सूत्र में कैसे बंधे रहते हैं। यही जानने के लिए पति भवानी सिंह अौर पत्नी सुमन नौ माह पहले राजस्थान के जयपुर से अपने घर से निकल पड़े। जगह-जगह की माटी के प्यार को महसूस कर सकें, इसलिए वह जूते-चप्पल भी नहीं पहनते हैं।


भवानी सिंह और उनकी पत्नी सुमन कमल शनिवार सुबह उत्तर प्रदेश के जिले शाहजहांपुर के अल्हागंज की मुख्य बाजार होकर जा रहे थे। नंगे पैर थे, इसलिए उन पर लोगों की नजर ठहर रही थी। बताया कि पिछले नौ माह से पैदल नंगे पैर चार धाम यात्रा व देश के विभिन्न राज्यों के लोगों से मुलाकात का जज्बा लिए सीतापुर जनपद के नैमिषारण्य के लिए जा रहे हैं। भवानी सिंह ने बताया कि वह राज्यस्थान के जयपुर के निवासी हैं। 13 मार्च को वह अपनी पत्नी सुमन कमल के साथ देश की संस्कृति को जानने के लिए घर से चले थे।

राजस्थान से हरियाणा होते हुए पंजाब व जम्मू कश्मीर पहुंचे, जहां उन्होंने वैष्णो देवी दर्शन के साथ अमरनाथ बाबा के दर्शन किए। वहीं इन राज्यों की संस्कृति व लोगों को बेहद करीब से देखने का मौका मिला, जो बेहद आनंदित करने वाला था। उसके बाद हिमाचल होते हुए उत्तरांचल में केदारनाथ, हरिद्वार होते हुए प्रयाग दर्शन, अयोध्या के बाद नेपाल में काठमांडू, केरल, कन्याकुमारी से महाराष्ट्र होते हुए गुजरात के बाद उदयपुर होते हुए यात्रा पूर्ण करने का इरादा है। उन्होंने बताया कि 10 हजार किलोमीटर पैदल चलने का इरादा बना कर निकले घर से निकले हैं।
भवानी सिंह ने बताया कि उनके परिवार में एक बेटा, एक बेटी है व माता पिता हैं।यात्रा से पूर्व उनका व्यवसाय था। ईश्वर की कृपा से देश की संस्कृति को जानने की प्रबल इच्छा पूर्ण होती जा रही है, जिसमें पत्नी सुमन बखूबी साथ निभा रही हैं। यात्रा के दौरान तमाम लोगों से मुलाकात के दौरान अपनापन दिखा। उन्होंने बताया कि जाति धर्म की बात करना इस देश में बेमानी है। यात्रा के दौरान सभी का समर्थन व प्यार हम दोनों को उत्साहित करता रहा। उन्होंने बताया कि रात्रि के दौरान नगर के एक श्रद्धालु परिवार उमाशंकर गुप्ता ने उन्हें अपने घर में आश्रय दिया व खानपान की व्यवस्था की।

Related Articles

- Advertisement -

Latest Articles

error: Content is protected !!