बैंक हड़ताल के पीछे यह है कर्मचारियों की पीड़ा, आप भी जानिए

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU)  दिनों के लिए हड़ताल कर एलान कर दिया है। उसका कहना है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में यह हड़ताल बुलाई जा रही है।

यूएफबीयू (UFBU) के संयोजक बी रामबाबू ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि संगठन ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र के कथित कदम का विरोध करते हुए 16 और 17 दिसंबर को पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। यूएफबीयू (UFBU) द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 13 निजी कंपनियों का बकाया 4,86,800 करोड़ रुपये था और इसे 1,61,820 करोड़ रुपये में निपटाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 2,84,980 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

उसका (UFBU) कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इस्तेमाल निजी क्षेत्र के संकटग्रस्त बैंकों जैसे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक, यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक, बैंक ऑफ कराड आदि को राहत देने के लिए किया गया है। हाल के दिनों में, यस बैंक को सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने संकट से निकाला। इसी तरह निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्त कंपनी), आईएलएंडएफएस को सार्वजनिक क्षेत्र के एसबीआई और एलआईसी ने संकट से निकाला।” इस सबके कारण ही सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को नुकसान हो रहा है।

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उन्होंने कहा कि ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जन धन, बेरोजगार युवाओं के लिए मुद्रा, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए स्वधन, प्रधानमंत्री आवास योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना जैसे अधिकांश सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं में भाग लेते हैं। इसलिए यूएफबीयू का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से आम लोगों और देश के पिछड़े क्षेत्रों के हितों को खतरा होगा।’

यूएफबीयू (UFBU) ने कहा, ‘सरकार द्वारा संसद में बैंकों के निजीकरण के विधेयक को आगे बढ़ाने की स्थिति में, बैंक कर्मचारी और अधिकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल सहित किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं, क्योंकि यह देश और लोगों के हितों के लिए हानिकारक है।’

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बैंकों ने की हड़ताल वापस लेने की अपील

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने यूनियनों से दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। बैंकों ने यूनियनों को बातचीत के लिए बुलाया है।

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने एक ट्वीट में अपने कर्मचारियों से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और हड़ताल में भाग लेने से बचने का आग्रह किया है। ट्वीट में कहा गया, ‘‘इसके अलावा मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए हड़ताल की वजह से हितधारकों को बहुत असुविधा होगी।’’ केनरा बैंक ने एक ट्वीट में कहा कि बैंक ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए 14 दिसंबर को संबंधित पक्षों के साथ बैठक बुलाई है।

वहीं, इंडियन बैंक ने ट्वीट किया, ‘‘अपने ग्राहकों को निर्बाध सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए हमने प्रमुख संघों / यूनियनों के नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है और उनसे 16 और 17 दिसंबर, 2021 को प्रस्तावित हड़ताल वापस लेने की अपील की है।’’ यूको बैंक ने भी अपनी यूनियनों से ग्राहकों के हित में देशव्यापी बैंक हड़ताल को वापस लेने का अनुरोध किया है। इसी तरह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने यूनियनों से कहा है कि वे अपने सदस्यों को बैंक के समग्र विकास के लिए अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने को अधिकतम प्रयास करने की सलाह दें।