इस बार रक्षाबंधन कब 11 या 12 अगस्त, यहां ज्योतिषाचार्य से जानिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त

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#Raksha Bandhan 2022
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न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी भाई-बहन का त्यौहार आने वाला है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) मनाने की परंपरा है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। हालांकि इस बार रक्षाबंधन की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है कि यह त्योहार किस तारीख को मनाया जाएगा। इस असमंजस को दूर कर लेना अच्छा होगा।

दरअसल इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है 11 और 12 को, जिसके कारण लोग समझ नहीं पा रहे हैं राखी आखिर किस दिन बांधी जाएगी। कुछ लोग 11 अगस्त, 2022 को रक्षाबंधन बता रहे हैं तो कुछ 12 अगस्त को। तो आइए ज्योतिषाचार्य डाॅ. मंजू जोशी से जानते हैं कि त्योहार की सही तारीख क्या है और राखी बांधने के शुभ मुहूर्त क्या होगा।

ज्योतिषाचार्य डाॅ. मंजू जोशी बताती हैं कि रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को ही मनान श्रेयस्कर है। राष्ट्रीय हिंदू पर्वों का निर्धारण “राष्ट्रीय पंचांग सुधार समिति” के सौ से ज्योतिष कर्मकांड, वेद, धर्म शास्त्रों, के विद्वान भी यही अनुशंसा करते हैं। यही नहीं, प्रोफेसर प्रियव्रत शर्मा इस समिति के वरिष्ठ सदस्य थे, उन्होंने भी अपने अमर ग्रंथ “व्रत पर्व विवेक” में 2022 के लिए रक्षाबंधन तिथि 11 अगस्त ही निर्धारित की है। इसके अतिरिक्त यदि हम धर्म ग्रंथों का अध्ययन करें जिस में मुख्यतः धर्मसिंधु, निर्णय सिंधु, पीयूष धारा, मुहूर्त चिंतामणि, तारा प्रसाद दिव्य पंचांग है, तो भी हम इस परिणाम पर पहुंचेंगे कि 11 अगस्त 2022 को ही रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म पर्व शास्त्र सम्मत है।

ग्रह-नक्षत्रों की क्या होगी स्थिति

ज्योतिषाचार्य डाॅ. मंजू जोशी बताती हैं कि रक्षाबंधन एवं श्रावणी उपाकर्म में मुख्यतः पूर्णिमा तिथि एवं श्रवण नक्षत्र का होना आवश्यक माना गया है। इस वर्ष 11 अगस्त को 10 बजकर 39 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ हो रही है जो पूरे दिन व्याप्त है, जबकि श्रवण नक्षत्र प्रातः 6:53 से प्रारंभ हो जाएगा। कई जातकों का इसमें प्रश्न है कि उत्तराषाढ़ा युक्त श्रवण नक्षत्र में उपाकर्म रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दो मुहूर्त यदि हो तो उसका दुष्प्रभाव होता है, परंतु रक्षाबंधन के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र केवल 5 मिनट तक रहेगा, जबकि एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है, यह तथ्य भी यहां पर लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त धर्मसिंधु में कहा गया है कि यजुर्वेदियों के लिए नक्षत्र की प्रधानता नहीं,, अपितु तिथि की प्रधानता देखी जाती है और पूर्णिमा 11 अगस्त को व्याप्त है एवं 12 अगस्त को पूर्णिमा तीन मुहूर्त नहीं होने के कारण रक्षाबंधन,उपाकर्म संस्कार मनाना शास्त्र सम्मत नहीं है।

12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना क्यों शास्त्र सम्मत नहीं?

12 अगस्त को पूर्णिमा प्रातः 7:6 पर समाप्त हो जाएगी, जोकि सूर्योदय के बाद 18 मिनट ही होते हैं। यह एक मुहूर्त से भी कम है। निर्णय व धर्म सिंधु ग्रन्थों के अनुसार भाद्रपद युक्त प्रतिपदा व धनिष्ठा युक्त नक्षत्र में श्रावणी उपाकर्म (जनेऊ धारण) करना शास्त्रों में निषेध माना गया है। 11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा व्याप्त है परंतु भद्रा मकर राशि मे होने से इसका वास पाताल लोक में माना गया है और पीयूष धारा में कहा है-

स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम।

मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी ।।

जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होती है तब वह शुभ फल प्रदान करने में समर्थ होती है।

मुहूर्त मार्तण्ड में भी कहा गया है “स्थिताभूर्लोख़्या भद्रा सदात्याज्या स्वर्गपातालगा शुभा”।

अतः यह स्पष्ट है कि मेष, वृष,मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु या मकर राशि के चन्द्रमा में भद्रा पड़ रही है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है।

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