उत्तराखंड के दो नगीनों ने बढ़ाया मान, नेगी दा के साथ अल्मोड़ा के दीवान को मिला संगीत नाटक अकादमी सम्मान

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। उत्तराखंड के लोकगायन और लेखन को आज राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल गई। राज्य के दो नगीनों को आज उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित (Sangeet Natak Akademi Award) किया गया है। इनमें अपने गीतों में पहाड़ का हर रंग घोलने वाले लोकगायक पाैड़ी निवासी नरेंद्र सिंह नेगी और अल्मोड़ा निवासी लेखक व साहित्यकार दीवान सिंह बजेली शामिल हैं।

दोनों लोगों को आज दिल्ली के विज्ञान भवन में देशभर की 44 हस्तियों के साथ संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दोनों को ्रसंगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (Sangeet Natak Akademi Award) से सम्मानित किया। नरेंद्र सिंह नेगी 12 अप्रैल को दिल्ली के मंडी हाउस में लोकगीतों की प्रस्तुति भी देंगे। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी मौजूद रहेंगे।

कौन हैं नरेंद्र सिंह नेगी

नरेंद्र सिंह नेगी (Narendra Singh Negi) उत्तराखंड के लोगों के बीच नेगी दा के नाम से जाने जाते हैं। वह उत्तराखंड के मशहूर लोक गीतकारों में से एक है। उनकी श्री नेगी नामक संस्था उत्तराखंड कलाकारों के लिए एक लोकप्रिय संस्थाओं में से एक है। नरेंद्र सिंह नेगी (Sangeet Natak Akademi Award) मूल रूप से पौड़ी जिले के रहने वाले हैं, जिनका जन्म 12 अगस्त 1949 को हुआ था। नेगी ने अपने म्यूजिक करियर की शुरुआत गढवाली गीतमाला से की थी और यह “गढ़वाली गीतमाला” 10 अलग-अलग हिस्सों में थी। नेगी (Narendra Singh Negi) की पहली एल्बम का नाम बुरांस रखा गया। अब तक वे हजार से भी​ अधिक गानों को आवाज दे चुके हैं। नरेंद्र सिंह नेगी लोक कलाकार के साथ ही लेखक और कवि भी हैं। उनकी अब तक 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। नेगी की पहली पुस्तक “खुच कंडी ” उनकी दुसरी पुस्तक “गाणियौं की गंगा, स्यणियौं का समोदर” उनकी तीसरी पुस्तक मुठ बोटी की राख शामिल हैं।

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दीवान सिंह बजेली के बारे में

अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर तहसील के कलेत गांव में जन्मे दीवान सिंह बजेली (Sangeet Natak Akademi Award) का लेखन में 30 वर्षों का अनुभव है। वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं। थियेटर और फिल्म से जुड़े विषयों पर उनकी कलम हमेशा सामाजिक जागरूकता और नागरिकों को सामर्थ्यवान बनाने में अपना योगदान देती रही है। देश के प्रमुख समाचार पत्रों टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, इकोनॉमिक टाइम्स, फाइनेंशियल एक्सप्रेस और स्टेट्समैन आदि में उनके क्रिटिक्स प्रकाशित होते रहे हैं।

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स्थानीय स्तर पर कुमाऊं लोक कथाओं और कहानियों को दुनिया भर में पहचान दिलाने में भी योगदान दिया है। चिल्ड्रेंस वर्ल्ड में उनके प्रकाशन में इसकी बानगी मिलती है। थियेटर और सिनेमा जगत में भी उनकी क्षमता को हर स्तर पर सराहना मिली है। लेखक बजेली साहित्य कला परिषद दिल्ली के द्वारा गठित कई समितियों से भी जुडे़ हैं। इसके अलावा मोहन उप्रेती द्वारा स्थापित पर्वतीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद पर भी सेवाएं दे रहे हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में मोहन उप्रेती द मैन एंड हिज आर्ट, द थियेटर ऑफ़ भानु भारती-ए न्यू पर्सपैक्टिव, यात्रिक-जर्नी इन थियेट्रिकल आर्ट्स और उत्तराखंड कल्चर इन दिल्लीः मिरियाड ह्यूज ऑफ़ हिमालयन आर्ट्स प्रमुख हैं।

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