पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव लड़ने से किया इनकार, नड्डा को लिख दिया यह साफ-साफ….

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून : उत्तराखंड में भी अब राजनीतिक उथल-पुथल काफी तेजी के साथ बढ़ गई है। हर रोज बदल रहे सियासी समीकरण से राजनीतिक पंडित भी अब कोई सटीक गुणा-गणित नहीं लगा पा रहे हैं।

अब पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक चुनाव ना लड़ने का बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते बल्कि भाजपा को जिताने के लिए एक कार्यकर्ता के रूप में मेहनत से लगे रहेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में उन्होंने कहा तो कुछ परिस्थितियों के चलते अब उनका मन चुनाव नहीं लड़ने का कर रहा है।

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वह चाहते हैं युवा प्रदेश में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पुनः सरकार स्थापित हो इसके लिए वह पार्टी कार्यकर्ता के रूप में कार्य करना चाहते हैं। जिसकी उन्हें अनुमति दी जाए। उन्होंने अपनी सीट से किसी भी सुयोग्य कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाने की भी संस्तुति की। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं और अनुशासित रहकर काम करना उनकी कार्यपद्धती रही है। ऐसे में अब उनका मन चुनाव ना लड़ने का किया तो अपनी भावनाओं से पार्टी हाईकमान को अवगत करा रहे हैं।

अब होने लगी यह चर्चा…

इधर, त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव न लड़ने की घोषणा से भाजपा ही नहीं विरोधी दलों में भी कयासबाजियां तेज हो गई हैं। चर्चा यह है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत में यह टीस है कि हरक सिंह रावत के विद्रोह से ही उनकी सरकार की छवि खराब हुई और उस वक्त हरक ने सीएम रहते भी उनको दवाब में लेने के भरसक प्रयास किए और कई फाइलों में उनकी टकराहट सामने आती रही। उस वक्त उन्होंने भी हरक सिंह रावत की फितरत को लेकर हाईकमान को लगातार अवगत कराया था, मगर परिणाम यह रहा कि उनको ही मुख्यमंत्री की कुर्सी से बेदखल होना पड़ा। लेकिन आज उन्हीं हरक सिंह रावत को भाजपा के लिए निकालना पड़ गया। समर्थकों का तर्क है कि इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत कहीं गलत नहीं थे।