कोरोना के नए रूप ओमिक्रॉन पर कोविशील्ड व कोवाक्सिन कितना असरदार, जानें क्या कहते हैं वैज्ञानिक

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया रूप सामने आया है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘ओमिक्रॉन’ नाम दिया है। कोरोना के इस वैरियंट से पूरे विश्व की चिंता बढ़ गई है। भारत सरकार भी इसे लेकर चिंताग्रस्त है। इसीलिए उसने 15 दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा शुरू करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के नए वैरियंट के खिलाफ अधिकारियों को सक्रिय होने और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के दिशानिर्देशों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। दक्षिण अफ्रीका ने नए स्वरूप के बारे में सबसे पहले बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को सूचित किया और बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग तथा इज़रायल में भी इसकी पहचान की गई है।

कोरोना टीका कितना असरदार

वायरस के नए स्वरूप को संभवत: अधिक संक्रामक बताया जा रहा है। अब तक उपलब्ध जानकारी के आधार पर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि कोविड के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे mRNA टीके ओमिक्रॉन के विरुद्ध असरदार नहीं हो सकते हैं। पांडा ने कहा, “mRNA टीके स्पाइक प्रोटीन और रिसेप्टर इंटरैक्शन की ओर निर्देशित होते हैं। इसलिए mRNA टीकों को कोरोना के नए स्वरूप में आए बदलाव के अनुरूप करने की आवश्यकता है, लेकिन सभी टीके समान नहीं हैं। कोविशील्ड और कोवैक्सिन हमारे शरीर में एक अलग एंटीजन प्रस्तुति के माध्यम से इम्यूनिटी उत्पन्न करते हैं।”

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ओमिक्रॉन को लेकर और अध्ययन की जरूरत

डॉ. पांडा ने कहा कि वैज्ञानिकों ने अब तक ओमिक्रॉन में संरचनात्मक परिवर्तन देखे हैं, लेकिन यह जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है कि यह वैरियंट कोविड के अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक घातक है। पांडा ने कहा, “नए वैरियंट में संरचनात्मक परिवर्तन देखे गए हैं जो संचरण की संभावना के साथ कोशिका, कोशिकीय स्नायु में वृद्धि के साथ पालन की संभावना का संकेत है।”

ओमिक्रॉन के व्यापक असर पर कहना अभी जल्दबाजी

लेकिन क्या वैरियंट वास्तव में तेजी से फैल रहा है या संक्रमण के समूहों का कारण बन रहा है। इस पर डॉ. पांडा ने कहा कि इसमें थोड़ा और समय लग सकता है व इसकी जांच किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जांच से उनका मतलब प्रयोगशाला आधारित परीक्षण, जनसंख्या आधारित अध्ययन से था।

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WHO ने नए वेरिएंट को बताया है Variant of Concern

डॉ. पांडा ने कहा, “डब्ल्यूएचओ ने इस सब की जांच की है और हमें यह पता लगाने के लिए कुछ और समय तक इंतजार करने की जरूरत है कि क्या इस वायरस की वजह से सामूहिक संक्रमण हो रहा है या बीमारी का गंभीर रूप या अत्यधिक मौतें हो रही हैं। इन सभी को ध्यान में रखते हुए, डब्ल्यूएचओ ने इसे चिंता का संस्करण (Variant of Concern) बताया है। वैज्ञानिकों ने पहले ही अध्ययन में पाया है कि इस वेरिएंट में 10 म्यूटेंट हैं। विशेषज्ञ ने कहा कि एक वैरियंट जितना अधिक बदलता है, वह उतना अधिक संक्रामक हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नही है कि वह वैरियंट घातक भी हो।

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