किसान आंदोलन : एक साल का संघर्ष खत्म, बाॅर्डर से उखड़ने लगे टेंट

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। लंबी खींचतान के बाद गुरुवार को आखिरकार किसान संगठनों ने किसान आंदोलन समाप्त (peasant movement ended) करने का एलान कर दिया। गुरुवार को सरकार की ओर से भेजा गया किसानों को औपचारिक पत्र में सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है।

सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है। साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा। इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का ऐलान कर चुकी हैं। वहीं सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यह जीत किसानों (peasant movement ended) के बलिदान से मिली है। आगे की रणनीति फिर तैयार करेंगे। 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर जाने की बात कही गई है। गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि 15 जनवरी को फिर बैठक करेंगे, अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम आंदोलन शुरू करेंगे। मोर्चा का कहना है कि 11 दिसंबर से किसान अपने घरों को लौटने लगेंगे (peasant movement ended) ।

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संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा

राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा। संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है, ये बड़ी जीत है। 11 तारीख से बॉर्डर खाली होने शुरू हो जाएंगे। कल जो दुखद घटना हुई है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं। जो हमारे किसान शहीद हैं, जवान शहीद हुए है, हम उस दुख की घड़ी में देश के साथ हैं। 11 तारीख से हम इस विजय से गांव से जाना शुरू करेंगे।

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वहीं, किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान (peasant movement ended) 11 दिसंबर से धरना स्थल को खाली करना शुरू कर देंगे। योगेंद्र यादव ने कहा कि ये किसानों की बहुत बड़ी जीत है। किसानों का बदनामी का सामना करना पड़ा। इसके जैसा किसान आंदोलन नहीं हुआ। योगेंद्र यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर को तीन काले कानून वापस लेने की घोषणा की, उसके बाद 21 तारीख को मोर्चा ने हमारे जो लंबित मामले थे, उसकी चिट्ठी लिखी। दो हफ्ते तक कोई जवाब नहीं आया। लेकिन परसों सरकार की ओर से पहला प्रस्ताव आया। हमने कुछ बदलाव मांगें, जिसके बाद कल फिर प्रस्ताव आया। उस पर चर्चा हुई। आज सुबह हमें कृषि सचिव संजय अग्रवाल की चिट्ठी मिली है।

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