यूक्रेन से लौटे छात्रों का करियर नहीं होगा बेकार, देश-विदेश में पूरी कर सकेंगे पढ़ाई, सरकार कर रही यह प्लान

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। भारत सरकार के प्रयासों से रूस-यूक्रेन के जंग से जान बचाकर छात्र स्वदेश लौट (students returned from Ukraine) रहे हैं। मगर यूक्रेन में पैदा हुए इन हालातों के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर देश लौटने के बाद इन छात्रों की पढ़ाई का क्या होगा? छात्रों के डॉक्‍टर बनने का सपना पूरा हो पाएगा या नहीं। रूस और यूक्रेन की जंग कब खत्म होगी? कब ये भारतीय छात्र वापस यूक्रेन जाएंगे? कई साल तक पढ़ाई करके आए छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री मिल पाएगी या नहीं? सरकार तक भी यह बात पहुंची है, जिसके बाद अब भारत सरकार इस समस्या का रास्ता निकालने की काेशिश कर रही है।

केंद्र सरकार ने इस संबंध में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिंग एक्ट यानी एफएमजीएल एक्ट में बड़े बदलाव करने का फैसला किया है, ताकि यूक्रेन से लौटे बच्चों का भविष्य खराब न हो और समय भी बेकार न जाए। केंद्र सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन और नीति आयोग को एफएमजीएल एक्ट-2021 में राहत और मदद देने की संभावनाएं तलाशने को कहा है।

इसके साथ ही यह भी पता लगाने को सरकार ने निर्देश दिए हैं कि यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों (students returned from Ukraine) के लिए देश और विदेश के प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ने की क्या व्यवस्था की जा सकती है? सूत्रों के अनुसार, इसका समाधान खोजने के लिए जल्द ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और नीति आयोग के अधिकारी एक बैठक कर विकल्पों पर चर्चा करेंगे और मानवीय आधार पर राहत देने के लिए जमीनी स्तर पर संभावनाएं तलाशेंगे।

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क्या हैं एनएमसी के एफएमजीएल प्रावधान?

नेशनल मेडिकल कमीशन के एफएमजीएल एक्ट 2021 के प्रावधानों के अनुसार पूरे पाठ्यक्रम के दौरान पूरी पढ़ाई, प्रशिक्षण और इंटर्नशिप या क्लर्कशिप आदि सभी भारत के बाहर एक ही विदेशी संस्थान, विश्वविद्यालय या कॉलेज में किए जाने चाहिए। इसके साथ ही प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि चिकित्सा प्रशिक्षण और इंटर्नशिप का कोई भी हिस्सा भारत में या उस देश जहां से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता यानी ग्रेजुएट स्तर की पढ़ाई पूरी की गई है, के अलावा किसी अन्य देश में नहीं किया जा सकता है।

ऑनलाइन पढ़ाई हो चुकी है बंद

यूक्रेन से लौटे छात्रों (students returned from Ukraine)का कहना है कि रूसी सेना बमबारी में यूनिवर्सिटी और इंस्‍टीट्यूशन भी निशाना बन रहे हैं, लिहाजा यूक्रेन की सभी मेडिकल यूनिवर्सिटीज में ऑफलाइन ही नहीं, बल्कि ऑनलाइन पढ़ाई को भी 12 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है और छात्रों से अपने-अपने देश लौटने के लिए कहा गया है।

ऐसे समझिए करियर पर संकट को

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई छह साल में पूरी होती है। इसके बाद स्टूडेंट्स को एक साल अनिवार्य इंटर्नशिप करनी पड़ती है। फिर भारत में प्रैक्टिस करने और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एफएमजीई यानी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम क्वालीफाई करना जरूरी होता है। इस परीक्षा में बैठने के लिए भी शर्त है कि एक साल की सुपरवाइज्ड इंटर्नशिप छात्रों काे करना होगा। इसके बाद एफएमजी एग्जाम क्वालीफाई करना पड़ता है। इस एग्जाम को क्वालीफाई करने के लिए एमबीबीएस में दाखिले के बाद से अधिकतम 10 साल की समय-सीमा होती है। जो छात्र यूक्रेन से पढ़कर आते (students returned from Ukraine) हैं, उनके सात साल वहां पूरे हो चुके होते हैं। एक साल देश में इंटर्नशिप और एफएमजी के लिए कोचिंग या तैयारी भी करनी पड़ती है। तो आठ साल पूरे हो जाते हैं। फिर छात्रों के पास सिर्फ दो साल का समय बचता है। कई बार तो एफएमजीई को क्वालीफाई करने में दो से तीन साल भी लग जाते हैं।

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कोरोना काल में चीन से लौटे छात्र अब तक परेशान

कोरोना महामारी के कारण बीते दो सालों में भारत लौटे सैकड़ों छात्र अभी भी देश में ही फंसे हुए हैं। इनमें चीन, फिलीपींस समेत कई देशों से आए हुए मेडिकल छात्र शामिल है, जिन्हें संबंधित देश, वहां के विश्वविद्यालयों द्वारा अभी तक वापस नहीं बुलाया गया है। चीन जैसे कुछ देशों में तो अभी भी कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए यात्रा प्रतिबंध लागू कर रखे हैं और विदेश नागरिकों को चीनी वीजा जारी करने पर रोक लगी हुई है। ऐसे में सैकड़ों भारतीय छात्र जो चीन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, वापस नहीं लौट सके। हालांकि, इनकी पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से जारी है, लेकिन भारत में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में ऑनलाइन पढ़ाई को मान्यता नहीं दी गई है। नेशनल मेडिकल कमीशन ऑनलाइन पढ़ाई वाली मेडिकल डिग्रियों को मान्यता नहीं देता है।

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