बेहद खास है केदारधाम में स्थापित शंकराचार्य की प्रतिमा, जानें इसके बारे में सब कुछ

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तराखंड के केदारनाथ धाम क्षेत्र में 12 फीट ऊंची आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) का अनावरण किया है। आदिगुरु शंकराचार्य की यह विशाल प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) कई मायनों में बेहद खास है।

2019 में जब पीएम नरेंद्र मोदी केदरानाथ धाम आए थे, तभी उन्होंने यहां आदिगुरु शंकराचार्य की भव्य और विशाल प्रतिमा स्थापित कराने का मन बनाया था। इससे पहले यहां स्थापित शंकराचार्य की समाधि 2013 में आई आपदा में नष्ट हो गई थी। इसके बाद जब केदारानाथ धाम का पुनरुद्धार कार्य शुरू हुआ तो पीएम की इच्छा पर मूर्तिकारों की तलाश शुरू हुई।

इसे ध्यान में रखते हुए शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) बनाने के लिए देशभर से कई मूर्तिकारों को आमंत्रित किया गया था। इस परियोजना के लिए कर्नाटक के चार मूर्तिकारों के नामों का उल्लेख किया गया था। आखिरकार मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज को शंकराचार्य की मूर्ति बनाने का मौका दिया गया था। शंकराचार्य की प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) 18 जून को मैसूर से केदारनाथ भेजी गई।

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सितंबर 2020 में अरुण योगीराज ने प्रधानमंत्री मोदी को दो फुट ऊंची मॉडल शंकराचार्य की प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) भेजी थी। यह देख मोदी ने अरुण योगीराज को शंकराचार्य की मूर्ति बनाने का निर्देश दिया। विभाग के निर्देशानुसार काम शुरू करने वाले अरुण योगीराज ने मैसूर के सरस्वतीपुरम में बैठ कर शंकराचार्य की मूर्ति तैयार की।

इसलिए खास है प्रतिमा

आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के निर्माण के लिए कई मूर्तिकारों ने काफी संख्या में मॉडल दिए थे। ऐसे करीब 18 मॉडल में से एक मॉडल का चयन किया गया। प्रधानमंत्री की सहमति के बाद मॉडल का चयन किया गया। कर्नाटक के मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इस मूर्ति को बनाया है। उनकी पांच पीढ़ियां इस कार्य में जुटी हैं। अरुण खुद एमबीए हैं, लेकिन वह मूर्तियां बनाते हैं। 9 लोगों की टीम ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) पर काम किया और सितंबर 2020 में मूर्ति बनाने का काम शुरू किया था। तकरीबन एक साल तक प्रतिमा पर काम किया गया। इस साल सितंबर महीने में मूर्ति को मैसूर से चिनूक हेलीकॉप्टर के द्वारा उत्तराखंड ले जाया गया। कृष्णशिला (ब्लैक स्टोन) से मूर्ति को बनाया गया और यहां शंकराचार्य की प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) के निर्माण के लिए लगभग 130 टन की एक ही शिला का चयन किया गया था।

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शिला को तराशा और कांटा-छांटा गया तो प्रतिमा का वजन तकरीबन 35 टन ही रह गया। आदि शंकराचार्य की प्रतिमा (Statue of Shankaracharya) की ऊंचाई लगभग 12 फीट है। प्रतिमा निर्माण के दौरान शिला पर नारियल पानी का खूब इस्तेमाल किया गया जिससे प्रतिमा की सतह चमकदार हो और आदि शंकराचार्य के ‘तेज’ का प्रतिनिधित्व भी करे। ब्लैक स्टोन पर आग, पानी, बारिश, हवा के थपेड़ों का असर नहीं होगा, यानी किसी भी मौसम की मार सहने के योग्य शिला का चयन आदि शंकरचार्य की प्रतिमा के लिए किया गया था।

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