गजल गायक को श्रद्धांजलि : संगीत से नफरत करते-करते बन गए थे गायक

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# Ghazal Singer Bhupinder Singh
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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। मनोरंजन जगत से सोमवार रात एक दुखद खबर सामने आई है। दिग्गज पार्श्व गायक भूपिंदर सिंह (Ghazal Singer Bhupinder Singh) का मुंबई में निधन हो गया है। भूपिंदर सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह कोविड-19 संक्रमित थे और उनमें पेट के कैंसर (कोलन कैंसर) का भी निदान किया गया था। इन्हीं जटिलताओं को निधन का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

महान गायक के निधन के बारे में उनकी उनकी पत्नी और गायिका मिताली सिंह ने जानकारी दी। भूपिंदर सिंह को उनकी भारी आवाज के लिए जाना जाता है। उन्होंने बॉलीवुड के कई गानों को अपनी आवाज दी। सोमवार शाम गायक के निधन के बारे में जानकारी देते हुए उनकी पत्नी मिताली ने कहा कि “वह कुछ समय से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।”

भूपिंदर सिंह (Ghazal Singer Bhupinder Singh) ने 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। सामने आई जानकारी के मुकाबिक सोमवार की रात ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। भूपिंदर सिंह को बॉलीवुड में उनके कई मशहूर गानों के लिए जाना जाता है। उन्होंने “मौसम”, “सत्ते पे सत्ता”, “अहिस्ता अहिस्ता”, “दूरियां”, “हकीकत” और कई अन्य फिल्मों के गानों को अपनी आवाज दी।

उनके कुछ प्रसिद्ध गीतों की बात करें तो “किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है“, “होके मजबूर मुझे, उसे बुलाया होगा“, “दिल ढूंढता है“, “दुकी पे दुकी हो या सत्ते पे सत्ता“ जैसे गाने आज भी लोगों के जुबान में चढे हुए हैं। भूपिंदर सिंह मशहूर भारतीय संगीतकार और मुख्य रूप से एक गजल गायक थे। उन्होंने बचपन में अपने पिता से गिटार बजाना सीखा था। दिल्ली आने के बाद उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के लिए एक गायक और गिटारवादक के रूप में काम किया। साल 1964 में संगीतकार मदन मोहन ने उन्हें अपना पहला बड़ा ब्रेक दिया था।

भूपेंद्र सिंह का जन्म 6 फरवरी, 1940 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह भी एक बेहतरीन संगीतकार थे। साल 1978 में रिलीज हुई एक फिल्म में गुलजार के लिखे गाने ‘वो जो शहर था’ से उन्हें लोकप्रियता हासिल हुई। भूपेंद्र ने 1980 में बांग्ला गायिका मिताली मुखर्जी से शादी की थी। हालांकि, दोनों की कोई संतान नहीं है। भूपिंदर सिंह का जीवन कई तरह के उतार-चढ़ाव वाला था। भूपिंदर सिंह को शुरुआती दिनों में संगीत से नफरत हुआ करती थी, अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में परफॉर्म करके किया।

भूपिंदर सिंह को संगीत उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह ने सिखाया। उनके पिता स्वयं एक बेहतरीन संगीतकार थे, हालांकि वह इस बात को लेकर बड़े सख्त थे कि मौसिकी सीखने वाला शिष्य गंभीर हो। उनकी इसी सख्ती की वजह से भूपेंद्र को संगीत से ही चिढ़ होने लगी थी, हालांकि जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनके भीतर संगीत के प्रति प्रेम जगा और वह देश के विख्यात गजल गायकों में शुमार हुए।

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