अपने पोस्टर और बैनर के कारण चर्चा में उत्तराखंड का यह गांव, नेता देख हो रहे शर्मिंदा

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न्यूज जंक्शन 24, देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का पारा इस समय काफी हाई हो गया है। मतदान में केवल कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। पार्टी के नेता और प्रत्याशी घर-घर गांव-गांव जाकर वोट मांग रहे हैं, मगर राजधानी देहरादून में एक ऐसा गांव (Kesharwala Village) हो, जो इस समय काफी चर्चा बटोर रहा है। यहां लगे पोस्टर और बैनर नेताओं को चेतावनी और उनकी वादाखिलाफी याद दिला रहे हैं।

बात हो रही है राजधानी से महज 7 किमी दूर बसे रायपुर विधानसभा के केशरवाला गांव (Kesharwala Village) की। यहां के ग्रामीणों ने गांव के बाहर से लेकर अंदर तक पोस्टर और बैनर लगा रखे हैं, जिस पर लिखा है, इस गांव में आकर शर्मसार न करें, वोट मांग मांगने से पहले सभी राजनीतिक दलों को गांव की सड़क, पानी की समस्या और अन्य समस्याओं को देखकर शर्म आएगी। इस क्षेत्र के विधायक भाजपा के उमेश शर्मा काऊ हैं।

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यहां (Kesharwala Village) के ग्रामीणों का कहना है कि गांव के लिए सड़क की मांग करते-करते दशक बीत गए, लेकिन आजतक कहीं सुनवाई नहीं हुई है। गांव के समीप पड़ी भूमि पर सेना को अपना बताती है, जिसके कारण सड़क का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जबकि सूचना के अधिकार में मांगे गए राजस्व अभिलेखों में यह उत्तराखंड सरकार की सम्पत्ति है। करीब 1.5 किमी सड़क की मांग निर्माण के लिए सभी अभिलेखों के साक्ष्य के साथ पीएम, सीएम से लेकर विधायक और मंत्रियों तक अपनी समस्या रख दी गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस कारण गांव (Kesharwala Village) से भी अब लोग पलायन कर रहे हैं।

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वहीं, एक अन्य ग्रामीण बताते हैं कि 2012 में सड़क के लिए क्षेत्रीय विधायक ने 50 लाख की स्वीकृति के साथ जेसीबी से काम शुरू करवाया, लेकिन वह यह कहकर बंद करवा दिया गया कि यह सेना की भूमि है। ग्रामीणों ने इस भूमि पर राजस्व अभिलेखों का साक्ष्य सबके सामने रखा। साथ ही राणा बताते हैं कि अभी भी गांव की आधी आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति पूरी नहीं हो पाई है। बिजली के खंभे नहीं लग पाए हैं।

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