अहमदाबाद बम धमाके में 38 दोषियों को फांसी, 11 को उम्रकैद, 14 साल बाद आया कोर्ट का फैसला

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न्यूज जंक्शन 24, नई दिल्ली। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट (Ahmedabad Serial Bomb Blast) मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को दोषियों को सजा सुना दी। कोर्ट ने वॉर अगेंस्ट स्टेट और राजद्रोह के मामले में 38 को फांसी की सजा सुनाई है। वहीं, 11 दोषियों को UAPA के तहत उम्रकैद की सजा दी है। हाल ही में अदालत ने एक दशक से ज्यादा लंबे समय तक चले ट्रायल के बाद 49 लोगों को दोषी करार दिया था। जबकि, 28 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए न्यायाधीश एआर पटेल ने बरी कर दिया था। इन दोषियों की सजा की अवधि पर सोमवार को अभियोजन की दलील पूरी हो गई थी। इस धमाके में 56 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 200 से ज्यादा घायल हो गए थे।

अदालत ने जिन लोगों को दोषी करार दिया है उनमें सफदर नागोरी, जावेद अहमद और अतीकुर रहमान भी शामिल हैं। निचली अदालत ने धमाकों (Ahmedabad Serial Bomb Blast) के करीब 13 साल बाद फैसला सुनाया था और मामले में 77 अभियुक्तों के खिलाफ सुनवाई पिछले साल सितंबर में पूरी कर ली थी। विशेष लोक अभियोजक अमित पटेल ने बताया था कि अदालत ने 49 अभियुक्तों को गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा-16, जो आतंकवाद से जुड़ा है और अन्य प्रावधानों, भारतीय दंड संहिता की धारा-302 (हत्या), धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन धमाकों में मारे गए लोगों के परिजनों को एक लाख, गंभीर घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों को 25 हजार रुपए की सहायता दी जाएगी।

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70 मिनट में हुए थे 21 धमाके, नहीं फट पाए थे 29 बम

26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों (Ahmedabad Serial Bomb Blast) ने अहमदाबाद को हिलाकर रख दिया था। शहर भर में हुए इन धमाकों में कम से कम 56 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर मुकदमा चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से भी जिंदा बम बरामद किए गए थे। ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके के और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके के थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।

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गोधरा कांड के जवाब में किए गए थे ब्लास्ट

ये ब्लास्ट (Ahmedabad Serial Bomb Blast) आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े लोगों ने किए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसे कथित तौर पर ‘इंडियन मुजाहिदीन’ ने धमाकों की चेतावनी दी थी। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासिन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।

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